tag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post334204380370158260..comments2024-03-19T14:53:12.000+05:30Comments on वीर बहुटी: निर्मला कपिलाhttp://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comBlogger32125tag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-53412480504433873812009-07-02T16:04:48.851+05:302009-07-02T16:04:48.851+05:30bahut kuchh milta julta paya maine apne vicharo se...bahut kuchh milta julta paya maine apne vicharo se...! bahut baar logo ke comments bhi sune "in maa bahano vali aurato ki ek alag prajati hoti hai. inhe log isi roop me pasand karte hai" vagairah vagairah...! magar kya karuN rishta jo bhi ho jab us me pravah prem ka ho to sambodhano ka hisab nahi laga pati mai..jo jis tarah se jude use bas imanadari se nibhana chahati hunकंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-63045136284057223682009-07-02T00:00:26.770+05:302009-07-02T00:00:26.770+05:30"माँ " यानि म + अ +न [ MAN ] = मन में ...<b><i> "माँ " यानि म + अ +न [ MAN ] = मन में , आत्मा में , नयन में जो छवि हमेशा जाने- अनजाने व्याप्त रहती है वही माँ है | उसी से हमारा अस्तित्व है , उसे भूले नहीं कि तुम्हारा अस्तित्व 'शून्य' है | </i></b><br /> <br /> नवम्बर में कवि योगेन्द्र मौदगिल की एक रचना की प्रशंसा में उनकी एक पोस्ट पर टिप्पणी की थी वही चार लाईने दोहरा रहा हूँ ,<br /> <br /><i>रिश्तों से ही घर होते हैं<br />इसी लिए रिश्ते ही संग हँसते हैं<br />रिश्ते ही संग-संग रोते भी हैं<br />रिश्तों के काँधे इसीलिए होते हैं |</i><br /> <br />आप का लेखन मन भवन लगा , सबसे बड़ा और कठिन तप - काल गृहस्थाश्रम होता है , उसमें भी रिश्तों को निभाना अगर वे न हो तो उनके आश्रितों को निभाना तो और भी दुष्कर कार्य है | गुंजाईश न होने पर अपनी संतान को तो समझाया -बहलाया और न मानाने पर सख्ती भी की जा सकती है ;पर रिश्तों के आश्रितों को नहीं ,अगर उन्हों ने ही या किसी और ने कह दिया ,' अरे बिन माँ - बाप के बच्चे है या अपने थोड़े ही है जैसा कुछ ' तो सारे करे धरे पर राख़ वो भी गरम वाली पड़ ही गयी |'' अन्योनास्ति " { ANYONAASTI } / :: कबीरा ::https://www.blogger.com/profile/02846750696928632422noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-30597042395934861062009-07-01T18:44:54.340+05:302009-07-01T18:44:54.340+05:30Tippaniyan nahin aise rishte hi is Blog jagat ki v...Tippaniyan nahin aise rishte hi is Blog jagat ki vaastavik uplabdhi hain.अभिषेक मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07811268886544203698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-86722853120802036462009-07-01T11:54:12.661+05:302009-07-01T11:54:12.661+05:30निर्मला जी,
रिश्ते तो जन्म के साथ ही पैदा हो जाते...निर्मला जी,<br /><br />रिश्ते तो जन्म के साथ ही पैदा हो जाते हैं पर आदमी निभाना नही सीख पाता है। आपने जो ब्लॉगर्स समूह में एक रिश्तेदारी की बात कही वह दिल को छू गई है। <br /><br />माँ, को लेकर आपने जो भी लिखा वह शाश्वत सत्य है। और रिश्ते जो निभाये हैं वो प्रेरणादायी हैं।<br /><br />नमन!<br /><br />सादर,<br /><br />मुकेश कुमार तिवारीमुकेश कुमार तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04868053728201470542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-596629828004510382009-07-01T07:19:36.907+05:302009-07-01T07:19:36.907+05:30कपिला जी ,
सर्वप्रथम तो मेरी सवेदानाएं आप के...कपिला जी ,<br /> सर्वप्रथम तो <b> मेरी सवेदानाएं आप के साथ है आप के भाई के मर्डर का जानकर दुःख हुआ भगवान उसकी आत्म को शांति दे | खैर इसमें आप - हम कर ही क्या सकते हैं , मृत्यु ही इस सृष्टि का अकेला शाश्वत -सत्य है || </b><br /> मैं आप का आभारी हूँ कि आप मेरी दुनिया में ( ब्लोग्स पर ) आयीं ,कबीरा का अनुसरण किया ,काळचक्र कि प्रशसा की यहाँ तक कि '........के बहाने से ' तक पर तक भ्रमण किया और पसंद किया | कबीरा के अनुसरण तथा मेरी दुनिया में [ब्लोग्स पर ] आने भ्रमण एवं प्रशंसा करने का हार्दिक आभारी हूँ | <br /> कहना तो बहुत कुछ चाहता हूँ , परन्तु इस टिप्पणी में और कुछ नहीं कहूँगा ,क्योंकि परंपरा है कि कंडोलेंस के बाद और किसी विषय पर विचार नहीं करते ;अतः क्षमा - प्रार्थी हूँ ||'' अन्योनास्ति " { ANYONAASTI } / :: कबीरा ::https://www.blogger.com/profile/02846750696928632422noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-74783242177209039332009-06-30T23:13:22.663+05:302009-06-30T23:13:22.663+05:30बेहद सुन्दर. मुझे एक और बहन मिल गयी.बेहद सुन्दर. मुझे एक और बहन मिल गयी.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-60831776182601070592009-06-30T22:53:51.580+05:302009-06-30T22:53:51.580+05:30नीरज सर की बार बिलकुल जायज है की 'एक अच्छा इंस...नीरज सर की बार बिलकुल जायज है की 'एक अच्छा इंसान ही प्यार बाँट सकता है'<br /><br />आपके विचार अनुकरणीय हैं.<br /><br />माँ पे लिखी रचना बहुत सुन्दर है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-15678386933180439572009-06-30T21:49:23.148+05:302009-06-30T21:49:23.148+05:30भाव-प्रणव रचना के लिए बधाई।भाव-प्रणव रचना के लिए बधाई।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-74654948141906490502009-06-30T20:41:48.843+05:302009-06-30T20:41:48.843+05:30आदरणीय निर्मला जी ,
आपने ठीक लिखा है आज के युग में...आदरणीय निर्मला जी ,<br />आपने ठीक लिखा है आज के युग में रिश्तों की समझ रह कहाँ गयी है ....मां के बारे में आपकी ये पंक्तियाँ अद्वितीय हैं <br /><br />माँ के प्यार की जोत जलाये रखना<br />माँ के प्यार मे पलकें बिछाये रखना<br />माँ की ममता मे सारा जहान है<br />माँ की ममता ही तेरी पहचान है<br />ये बच्चे माँ की जान हैं<br />उसकी दुआ एक वरदान है<br /><br />हेमंत कुमारडा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03899926393197441540noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-22688036447207535752009-06-30T19:14:57.891+05:302009-06-30T19:14:57.891+05:30निर्मला जी, कई लोग कुछ गलत सोच वाले भी होते है, जब...निर्मला जी, कई लोग कुछ गलत सोच वाले भी होते है, जब कि उन्हे मालूम ही नही होता कि वो क्या कर ओर कह रहे है.<br />समाज मै हम सब को रहने के लिये प्यार की आवशकता तो होती है, ओर उस प्यार को कोई कुछ नाम दे दे तो क्या बुरा है, आप अगर सब बच्चो मे उस प्यार को ढुढती है पाती है, तो इस क्या बुराई है.<br />बुराई है एक दुसरे की टांग खीचने मै, एक दुसरे को नीचा दिखाने मै.<br />आप मन छोटा ना करे आप का लेख ओर अप की कविता बहुत ही अच्छी लगी धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-48856648690134193412009-06-30T18:43:05.066+05:302009-06-30T18:43:05.066+05:30"MAA"
is shbd ki vyakhya to ishvar bhi n..."MAA"<br />is shbd ki vyakhya to ishvar bhi nahi kar paaye..itne pyare shbd ki mahima bakhaini nahi jaa sakti/ aapki rachna marmsparshi he//<br />maa par ab tak jitna likha gayaa he sab adhura saa lagtaa he kyuki lagta he abhi kuchh shesh he jo likha nahi gayaa/अमिताभ श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/12224535816596336049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-27615841318358918582009-06-30T17:48:32.559+05:302009-06-30T17:48:32.559+05:30maa ko bas mera salaam haimaa ko bas mera salaam haiM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-25087208763213097662009-06-30T17:42:47.301+05:302009-06-30T17:42:47.301+05:30aadarniy nirmala ji ;
aapko is bete ka bhi pranaa...aadarniy nirmala ji ;<br /><br />aapko is bete ka bhi pranaam . bus aapki ye post padhkar aankhen bheegi hui hai .. aur kuch na kahunga ...<br /><br />aapka beta <br /><br />vijayvijay kumar sappattihttps://www.blogger.com/profile/06924893340980797554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-65869471916946480852009-06-30T17:15:38.567+05:302009-06-30T17:15:38.567+05:30निर्मला जी एक अच्छा इंसान ही प्यार बाँट सकता है......निर्मला जी एक अच्छा इंसान ही प्यार बाँट सकता है...आप बहुत नेक दिल हैं और आपके विचार भी बहुत उच्च कोटि के हैं...इश्वर आपको हमेशा खुश रक्खे...माँ पर कविता लाजवाब है...<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-44559459752895830502009-06-30T16:23:35.908+05:302009-06-30T16:23:35.908+05:30आपके इस आलेख और कविता को पढ़ मन में जो भाव आये,उन्ह...आपके इस आलेख और कविता को पढ़ मन में जो भाव आये,उन्हें शब्द दे पाने में मैं स्वयं को नितांत असहाय पा रही हूँ.....बस यही कहूंगी की नतमस्तक हूँ आपके सम्मुख...<br /><br />रिश्ते तो मन से ही बनते और निभाए जाते हैं...माध्यम तो बस माध्यम हैं....कोई आवश्यक नहीं की जन्म से मिले और बंधे रिश्ते ही मन के भी रिश्ते हों.....<br /><br />माँ तो अपने आप में ही सम्पूर्ण है...और कुछ आगे कहने की गुंजाइश ही कहाँ रह जाती है....मातृत्व से बड़ा कोई सुख नहीं....रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-67423799027153133342009-06-30T15:20:38.857+05:302009-06-30T15:20:38.857+05:30maa par likhi rachna achchhi lagimaa par likhi rachna achchhi lagiPrem Farukhabadihttps://www.blogger.com/profile/05791813309191821457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-34587581188927859542009-06-30T15:00:46.332+05:302009-06-30T15:00:46.332+05:30बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।
आपने सही कहा है इस ब्लोग...बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।<br />आपने सही कहा है इस ब्लोग जगत में रिश्तो की एक अलग अहमियत है.....यह अनुभव में आया है कि कुछ रिश्ते अपने आप बनते चले जाते हैं। जो मन को आनंदित करते हैपरमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-16107582909171261722009-06-30T14:09:31.830+05:302009-06-30T14:09:31.830+05:30बहुत ही बढ़िया
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विज्ञान । HASH OUT SCIENCEबहुत ही बढ़िया <br /><br />---<br /><a href="http://vijnaan.charchaa.org/" rel="nofollow">विज्ञान । HASH OUT SCIENCE</a>Vinayhttps://www.blogger.com/profile/08734830206267994994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-9415549664053052952009-06-30T13:55:43.099+05:302009-06-30T13:55:43.099+05:30सही है रिश्ते बनने-बनाने के लिए जगह के मोहताज नहीं...सही है रिश्ते बनने-बनाने के लिए जगह के मोहताज नहीं होते। बहुत बढ़िया लेख लिखा है आपनेBatangadhttps://www.blogger.com/profile/08704724609304463345noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-77451765531159514532009-06-30T13:54:47.429+05:302009-06-30T13:54:47.429+05:30बहुत सही लिखा आपने निर्मला जी.........ब्लॉगजगत में...बहुत सही लिखा आपने निर्मला जी.........ब्लॉगजगत में रिश्तों के बनने पर jisko भी ऐतराज हैं.. शायद कभी उन्होंने रिश्ता banaaya ही नहीं.......वो नहीं jaante rishton की ahmiyat और जो सुख rishton को nibhaane में आता है वो उस से anjan हैं .................achaa लगा आपको और जान करदिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-16239165876328464652009-06-30T12:41:57.786+05:302009-06-30T12:41:57.786+05:30आपनें बहुत सुंदर लिखा है ,वैसे भी यह तो हमारी पुरा...आपनें बहुत सुंदर लिखा है ,वैसे भी यह तो हमारी पुरातन परम्परा रही है-उदार चरिता नाम तु वसुधैव कुटुम्बकम .डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-31858544772054804952009-06-30T11:32:41.131+05:302009-06-30T11:32:41.131+05:30ये बच्चे मां की जान हैं,
उसकी दुआ एक वरदान है ।
...ये बच्चे मां की जान हैं,<br />उसकी दुआ एक वरदान है । <br /><br />आपकी पूरी रचना, बहुत ही सुन्दर, हर शब्द में मां की व्याख्या जो भी की है, अद्भुत है, मां पर जितना भी लिखा जाये, जितना भी कहा जाये, वह कम है, मां की ममता और इस रचना के भावों में जो ममता और रिस्तों के धागे आपने पिरोये हैं उनके आगे मैं नतमस्तक हूं ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-21765400884616906282009-06-30T11:18:55.437+05:302009-06-30T11:18:55.437+05:30mere chehre pe jab bhi fikr ke saye ubharte hain
m...mere chehre pe jab bhi fikr ke saye ubharte hain<br />meri maaN apne hath se niwala chod deti hai...<br />maaN ki mamta duniya ki anmol doulat hai....Razi Shahabhttps://www.blogger.com/profile/13193897476357715971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-82926730453524349782009-06-30T10:34:57.489+05:302009-06-30T10:34:57.489+05:30अति सुंदर,अद्भुत रचना,
माँ,ममता का असीम श्रोत हैं...अति सुंदर,अद्भुत रचना,<br /><br />माँ,ममता का असीम श्रोत हैं,<br />माँ,इस नश्वर जीवन की,अखंड ज्योत हैं.<br /><br />माँ,एक पवित्र नाम है,<br />माँ,के बिना जिंदगी गुमनाम है.<br /><br />माँ,आँचल की छाया देती रही कठोर धूप मे,<br />माँ,निहित है,परमात्मा के स्वरूप मे.विनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-15887639582737968372009-06-30T10:24:35.817+05:302009-06-30T10:24:35.817+05:30'माँ'तो शब्द ही ऐसा है जो आकर्षित करता है....'माँ'तो शब्द ही ऐसा है जो आकर्षित करता है...!जितना लिखा जाये उतना कम है..!दस बच्चे मिल कर एक माँ को नहीं पाल सकते,जबकि एक अकेली माँ दस बच्चों को पाल; लेती है यही होती है माँ...!दूसरा आपने ब्लॉग पर रिश्ते बनाने के बारे जो लिखा है मैं उससे सहमत हूँ....आज के युग में खुशियाँ ढूंढनी पड़ती है...जहाँ मिले वहीँ ठीक...!हमारे करीबी रिश्तेदार तो कम ही करीब होते है,जबकि दूर के दोस्त दिल के करीब ज्यादा रहते है...RAJNISH PARIHARhttps://www.blogger.com/profile/07508458991873192568noreply@blogger.com