tag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post1622175097844251475..comments2024-03-19T14:53:12.000+05:30Comments on वीर बहुटी: गज़लनिर्मला कपिलाhttp://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comBlogger73125tag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-4394486943381211122010-10-01T20:27:36.378+05:302010-10-01T20:27:36.378+05:30CORRECTION:
ਕੈਸੇ ਫਿਰ ਕਹ ਦੂੰ...CORRECTION:<br />ਕੈਸੇ ਫਿਰ ਕਹ ਦੂੰ...सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼https://www.blogger.com/profile/11282838704446252275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-16349798252449765802010-10-01T20:26:07.961+05:302010-10-01T20:26:07.961+05:30ਨਿਰਮਲਾ ਮਾ,
ਨਮਸਤੇ!
ਅਛੀ ਲਗੀ, ਕਿਸੇ ਪਹਿਰ ਕਹ ਦੂੰ.....
ਕ...ਨਿਰਮਲਾ ਮਾ,<br />ਨਮਸਤੇ!<br />ਅਛੀ ਲਗੀ, ਕਿਸੇ ਪਹਿਰ ਕਹ ਦੂੰ.....<br />ਕੇ ਆਪਕੀ ਏ ਗ਼ਜ਼ਲ ਅਛੀ ਨਹੀਂ ਲਗਤੀ!<br />ਪੈਰੀ ਪਾਉਣਾ!<br />ਆਸ਼ੀਸ਼सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼https://www.blogger.com/profile/11282838704446252275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-52064741531060614092010-10-01T17:05:23.399+05:302010-10-01T17:05:23.399+05:30रुलाकर फिर मनाने की बुरी आदत उसे क्यों है
मुहब्बत ...रुलाकर फिर मनाने की बुरी आदत उसे क्यों है<br />मुहब्बत में मुझे ये दिल्लगी अच्छी नहीं लगती<br /><br />बहुत उम्दा बात...........<br /><br />प्रभावशाली ग़ज़ल,<br /><br />हार्दिक बधाई.....<br /><br /><br />चन्द्र मोहन गुप्तMumukshh Ki Rachanainhttps://www.blogger.com/profile/11100744427595711291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-37667698202541781922010-10-01T16:57:01.730+05:302010-10-01T16:57:01.730+05:30न काटो डाल जिस पर बैठकर खुशियां मनाते हो
तुम्हारे ...न काटो डाल जिस पर बैठकर खुशियां मनाते हो<br />तुम्हारे हाथों अपनी खुदकुशी अच्छी नहीं लगती...waah kya khoob likha hai ,laazwaab hai har sher .ज्योति सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-20446916046133650052010-10-01T09:49:28.404+05:302010-10-01T09:49:28.404+05:30Bahut hi sunder bhavBahut hi sunder bhavShaivalika Joshihttps://www.blogger.com/profile/02643334614690992704noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-46524954642755679252010-10-01T09:40:46.918+05:302010-10-01T09:40:46.918+05:30लहू दे कर संवारा है इसे जब प्राण भाई ने
कहूं कैसे...लहू दे कर संवारा है इसे जब प्राण भाई ने <br />कहूं कैसे बहन की शायरी अच्छी नहीं लगती.<br /><br />आपने कमाल कर दिया. क्या मुझ गरीब की छुट्टी करने का इरादा है. कहानियों में तो पहले से ही आप के नाम का डंका बज रहा है, अब गज़लों में भी आपके नाम की तूती बोलने वाली है.सर्वत एम०https://www.blogger.com/profile/15168187397740783566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-21563598711929959322010-09-30T21:30:15.818+05:302010-09-30T21:30:15.818+05:30लाकर फिर मनाने की बुरी आदत उसे क्यों है
मुहब्बत मे...लाकर फिर मनाने की बुरी आदत उसे क्यों है<br />मुहब्बत में मुझे ये दिल्लगी अच्छी नहीं लगती ।<br /><br />बहुत ही सुंदर ..........आभारडॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) https://www.blogger.com/profile/00271115616378292676noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-28072498901466829872010-09-30T21:25:56.940+05:302010-09-30T21:25:56.940+05:30उम्दा गज़ल..
आभार
डा.अजीतउम्दा गज़ल..<br /><br />आभार <br />डा.अजीतDr.Ajithttps://www.blogger.com/profile/17632123454222628758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-34610711396231537132010-09-30T19:38:11.860+05:302010-09-30T19:38:11.860+05:30बहुत समय से पढ़ रही हूँ गज़ब लिखते हैं प्राण जी। धन्...बहुत समय से पढ़ रही हूँ गज़ब लिखते हैं प्राण जी। धन्यवाद निर्मला जी।सुनीता शानूhttps://www.blogger.com/profile/11804088581552763781noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-22138966436095911292010-09-30T18:36:39.777+05:302010-09-30T18:36:39.777+05:30Adarniya Mam,
har rachna ki hi tarah apki yah gaza...Adarniya Mam,<br />har rachna ki hi tarah apki yah gazal bhi bahut sundar likhi gayi hai.<br />Poonamपूनम श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09864127183201263925noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-50653416496940375852010-09-30T12:02:22.718+05:302010-09-30T12:02:22.718+05:30ताजगी से भरी बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल
सारे शेर बेहद उम्...ताजगी से भरी बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल <br />सारे शेर बेहद उम्दा हैं और संजो के रखने लायक हैं <br />आपको बधाई और आभार <br /><br /><br /><br />आपके आशीर्वाद की प्रतीक्षा में :<br /><b><a href="http://cmindia.blogspot.com/2010/09/blog-post_30.html" rel="nofollow">मिलिए ब्लॉग सितारों से </a></b>Creative Manchhttps://www.blogger.com/profile/06744589000725201971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-48786099052677085882010-09-30T10:37:52.120+05:302010-09-30T10:37:52.120+05:30वाह..!!वाह..!!priyankaabhilaashihttps://www.blogger.com/profile/17633503503237589489noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-58744711439509801352010-09-30T10:18:44.550+05:302010-09-30T10:18:44.550+05:30भई वाह ..क्या बढ़िया ग़ज़ल लिखी है.
एक से बढ़कर एक...भई वाह ..क्या बढ़िया ग़ज़ल लिखी है.<br />एक से बढ़कर एक शेर ....<br />अगर इसे न पढ़ा तो क्या पढ़ा .<br />इतनी अच्छी रचना के लिए आपको<br />आभार ..<br /><br />मेरे ब्लॉग पर आपके कमेन्ट के सन्दर्भ में,<br />कहना चाहता हूँ की परांठे वाली गली<br />चांदनी चौक में है . ये परांठो के लिए बहुत प्रसिद्ध है.<br />(चांदनी चौक, लाल किला के सामने है)<br />बॉलीवुड के सुप्रसिद्ध कलाकार श्री अक्षय कुमार का घर भी<br />इसी गली में है .वीरेंद्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/17461991763603646384noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-21427351201391847152010-09-30T08:41:19.531+05:302010-09-30T08:41:19.531+05:30पुख्ता अशआर लिये परिपक्व ग़ज़ल है। बधाई के पात्र...पुख्ता अशआर लिये परिपक्व ग़ज़ल है। बधाई के पात्र हैं आप और प्राण साहब दोनों। जीवन के कई पहलू छूने की उम्दा कोशिश है।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-32115235659500130822010-09-29T22:40:53.458+05:302010-09-29T22:40:53.458+05:30काश सभी की सोच इस गजल की तरह हो !काश सभी की सोच इस गजल की तरह हो !hem pandeyhttps://www.blogger.com/profile/08880733877178535586noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-53014379121667943342010-09-29T19:36:57.274+05:302010-09-29T19:36:57.274+05:30वाह क्या कहने !वाह क्या कहने !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-68785971606544560812010-09-29T19:07:10.604+05:302010-09-29T19:07:10.604+05:30bahut hi khubsurat gazal.....
aap mere blog par aa...bahut hi khubsurat gazal.....<br />aap mere blog par aayin mera saubhagya...<br />yun hi utsaah wardhan karte rahein...Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-29077843479294152442010-09-29T17:04:23.207+05:302010-09-29T17:04:23.207+05:30निर्मला जी, बहुत ही उम्दा कलाम पढ़ने को मिला है...
...निर्मला जी, बहुत ही उम्दा कलाम पढ़ने को मिला है...<br /><br />न काटो डाल जिस पर बैठकर खुशियां मनाते हो<br />तुम्हारे हाथों अपनी खुदकुशी अच्छी नहीं लगती...<br />दर्स भरा शेर है...<br />किसी से बात दिल की बांटना उसको नहीं भाता<br />मेरे यारो मुझे उसकी खुदी अच्छी नहीं लगती...<br />सही है....<br />अपनों के बीच इतना अंतर्मुखी होना भी मुनासिब नहीं...<br />बहुत अच्छी ग़ज़ल है.शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-57671580440742423982010-09-29T14:45:19.143+05:302010-09-29T14:45:19.143+05:30बेहतरीन और ताजगी भरी ग़ज़ल.बेहतरीन और ताजगी भरी ग़ज़ल.Yashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-85163587856157473022010-09-29T12:35:47.103+05:302010-09-29T12:35:47.103+05:30बहुत ही कमाल की गज़ल है निर्मला दी ! हर शेर एक से ब...बहुत ही कमाल की गज़ल है निर्मला दी ! हर शेर एक से बढ़ कर एक है ! इतनी खूबसूरत भावाभिव्यक्ति के लिये आपको बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं !Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-9109140633119068362010-09-29T12:22:43.318+05:302010-09-29T12:22:43.318+05:30प्रणाम
अदभुत ही कहूंगाप्रणाम<br />अदभुत ही कहूंगाबाल भवन जबलपुर https://www.blogger.com/profile/04796771677227862796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-41143481068704957072010-09-29T12:15:40.359+05:302010-09-29T12:15:40.359+05:30निहायत ही उम्दा ग़ज़ल होती है आपकी, मैं तो हमेशा स...निहायत ही उम्दा ग़ज़ल होती है आपकी, मैं तो हमेशा से ही आपकी ग़ज़लों का प्रशंसक रहा हूँ !<br />इस ग़ज़ल के सारे शेर वेहतरीन है, बहुत दिनों के बाद पढ़ी एक बढ़िया ग़ज़ल ....शुभकामनाएं !रवीन्द्र प्रभातhttps://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-65432118945430432712010-09-29T10:31:15.878+05:302010-09-29T10:31:15.878+05:30बेहतरीन ग़ज़ल
सभी शेर एक से बढ़कर एक उम्दा हैं
पहला...बेहतरीन ग़ज़ल <br />सभी शेर एक से बढ़कर एक उम्दा हैं <br />पहला शेर ही दिल को भा गया :<br />कसक,ग़म,दर्द बिन ये ज़िन्दगी अच्छी नहीं लगती<br />मुझे अब आँसुओं से दुश्मनी अच्छी नहीं लगती<br /><br />इस शेर की तो बात ही क्या :<br />भला लगता है मुझको रोज ही रब की इबादत पर<br />फरेबों से भरी सी बंदगी अच्छी नहीं लगती<br /><br />इस शेर की नाजुकी भी कमाल की है :<br />किसी से बात दिल की बांटना उसको नहीं भाता<br />मेरे यारो मुझे उसकी खुदी अच्छी नहीं लगती<br /><br />कुल मिलाकर लाजवाब ग़ज़ल बन पड़ी है <br />आपको बहुत-बहुत बधाई <br /><br />और हाँ जी <br />मुझे तो "लाकर" भी चलेगा और "रुलाकर" भी चलेगा :)<br />जब इस शेर में 'लाकर' शब्द का प्रयोग करते हैं तो भाव उभरते हैं कि कोई रूठकर चला गया है और वापस बुलाकर मान-मनव्वल किया जा रहा है !प्रकाश गोविंदhttps://www.blogger.com/profile/15747919479775057929noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-44653636208415105582010-09-29T10:26:41.939+05:302010-09-29T10:26:41.939+05:30बेहद खूबसूरत ग़ज़ल है.... एक-एक शेर एक से बढ़कर एक ...बेहद खूबसूरत ग़ज़ल है.... एक-एक शेर एक से बढ़कर एक है.... बहुत खूब!<br /><br /><br /><br />ज़रा यहाँ भी नज़र घुमाएं!<br /><a href="http://chhotibat.blogspot.com/2010/09/blog-post_29.html" rel="nofollow">राष्ट्रमंडल खेल</a>Shah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4297287248153899458.post-50579993185818389582010-09-29T10:12:49.966+05:302010-09-29T10:12:49.966+05:30वाह निर्मला जी वाह...क्या कमाल की गज़ल कही है आपने...वाह निर्मला जी वाह...क्या कमाल की गज़ल कही है आपने...एक एक शेर अपनी कहानी कह रहा है...आपकी सोच और लफ़्ज़ों का चुनाव बेहतरीन है...गुरुदेव प्राण साहब अपने पारस स्पर्श से हर वस्तु को सोना बनाने में सिद्ध हस्त हैं और जब गज़ल खुद ही सोना हो और गुरदेव का हाथ लगा हो तो समझिए सोने पर सुहागा है...<br />किसी एक शेर को अलग से कोट करने का मन नहीं कर रहा क्यूँ के ये फिर दूसरे शेरों के साथ बेइंसाफी होगी...<br />लिखती रहिये...<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.com