22 February, 2011

गज़ल --gazal

गज़ल
आदरनीय र्श्री पंकज सुबीर जी के ब्लाग --------  http://subeerin.blogspot.com/   पर मुशायरा हुया. बह्र, और काफिया मुश्किल था मगर सुबीर जी के प्रोत्साहन से कोशिश की़। मेरी गज़ल को उस मुशायरे मे जगह दे कर मुझे जो ऊर्जा प्रदान की उसके लिये सुबीर जी का धन्यवाद। मिसरा था----
नये साल मे नये गुल खिलें नई खुश्बुयें नया रंग हो--
गज़ल

नये साल मे सजें महफिलें चलो झूम लें कि उमंग हो
तेरे नाम का पिएं जाम इक खूब जश्न हो नया रंग हो

घटा छा रही उमंगें जवां खिले चेहरे हसीं शोख से
नये साल मे नये गुल खिलें नई हो महक नया रंग हो

तू मुझे कभी नही भूलना किये ख्वाब सब तेरे नाम अब
मेरा प्यार तू मेरे साजना रहूँ खुश तभी कि तू संग हो

कोई रह गया किसी मोड पर नही साथ था नसीबा मेरा
गली से मुझे यूँ विदा किया रहा खत कोई जो बैरंग हो


लिखूँ तो गज़ल मिटे दर्द सा भूल जाउँ मै सभी गम अभी
याद जब  तलक करूँगी उसे रहूँगी सदा यूँ हि तंग हो

मेरे ख्वाब तो मुझे दें खुशीरहे जोश मे जरा मन मेरा
ए खुदा करो इनायत जरा मेरी ये खुशी नही भंग हो

गुजारे हुये कई साथ पल याद जब करूँ रुलायें मुझे
कौन बावफा कौन बेवफा छिडी मन मे जो कोइ जंग हो

कभी वक्त की नज़ाकत रही कभी वक्त की हिमाकत रही
नही लड सके कभी वक्त से  लडे आदमी जो दबंग हो

नहीं गोलियाँ कभी हल रही किसी बात का किसी भी तरह
सभी ओर हो चैन और अमन करो बात जो सही ढंग हो

मिटे वैर और विरोध सा रहें प्यार से सभी देश मे
जियें चैन से ये दुआ करो जमीं पर कभी नही जंग हो

कौन नगर है कौन सी गली जहाँ हो नही कभी शोर सा
जरा होश खो किसी सडक पर युवा जब चलें हुडदंग हो

55 comments:

  1. shaandaar gazal

    ब्लॉग लेखन को एक बर्ष पूर्ण, धन्यवाद देता हूँ समस्त ब्लोगर्स साथियों को ......>>> संजय कुमार

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  2. बहुत ही प्यारी गजल है । वास्तव मेँ काफिये को अंत तक निभाना मुश्किल था । सभी अशआर खूबसूरत और वजनदार है । आभार निर्मला जी ।

    " सितारा कहूँ क्यूँ ? चाँद है तू मेरा........गजल "

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  3. ग़ज़ल बहुत सुन्दर है ... हर शेर बेहतरीन है !

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  4. हार्दिक शुभकामनायें !

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  5. आद. निर्मला जी,
    इस बेहतरीन और खूबसूरत ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद !
    यह शेर तो सीधे दिल में उतर गया ,
    मिटे वैर और विरोध सब रहें प्यार से सभी देश में
    जियें चैन से ये दुवा करो ज़मी पर कभी नहीं जंग हो !

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  6. jiyen chain se ... dua karo, zameen pe kabhi jung n ho . bahut sahi

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  7. आपने तो बहुत खूबसूरत गजल लगाई है!

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  8. मिटे वैर और विरोध सा रहें प्यार से सभी देश में
    जिये चैन से ये दुआ करो जमीं पर कभी नहीं जंग हो

    सुन्दर गजलों का खुबसूरत गुलदस्ता. आभार...

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  9. बहुत उम्दा गज़ल ...हर शेर नयी बात कहता हुआ ...

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  10. सुन्दर ग़ज़ल
    हर शेर अलग भाव लिए हुए है
    कई शेर पसंद आये

    बधाई/आभार/शुभ कामनाएं

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  11. शानदार शेरो से सजी बहुत ही खूबसूरत गज़ल्।

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  12. अरे बाप रे, शेर दर शेर क्‍या बात कही है। बहुत बढिया।

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  13. बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल, हर शेर शानदार है...

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  14. जितनी अच्छी और शांत आप हैं उतनी ही खुबसूरत ये ग़ज़ल |
    बहुत -बहुत बधाई |

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  15. हर शेर नपा-तुला और अभिव्यक्ति भावात्मक,बहुत -बहुत बधाई |

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  16. उम्दा तस्सवुर..!!

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  17. दिल को छूती गजल |बहुत अच्छा लगा पढ़ कर |
    बधाई
    आशा

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  18. खूबसूरत गजल...बधाई.

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  19. आदरणीया निर्मला जी,
    सादर प्रणाम
    इस बेहतरीन और खूबसूरत ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद !
    यह शेर तो सीधे दिल में उतर गया ,
    मिटे वैर और विरोध सब रहें प्यार से सभी देश में
    जियें चैन से ये दुवा करो ज़मी पर कभी नहीं जंग हो
    पंकज सुबीर जी का भी आभार जिनकी प्रेरणा है निर्मला जी ने सुंदर ग़ज़ल पूरी की .

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  20. वाह. बहुत सुंदर रचना.

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  21. बहुत बढि्या
    सुंदर गजल के लिए आभार

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  22. बहुत ही सुंदर गजल, ओर हर शेर एक से बढ कर एक, धन्यवाद

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  23. बहुत सुन्दर गज़ल..

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  24. हर शेर सुन्दर है ..उम्दा गज़ल.

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  25. बहुत नायाब रचना, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  26. निर्मला जी ....
    ये मिश्रा मैंने भी देखा था पर एक दो शेर लिख पूरा कर ही नहीं पाई .....
    आपने तो गज़ब के शे'र लिख डाले ......
    बधाई आपको ....

    हाँ जसवीर राना की कहानी लघुकथा नहीं थी ....
    मैं ही क्रमश : लिखना भूल गई ....
    अभी तो बहुत बाकी है धीरे धीरे करुँगी .....

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  27. निम्मो दी!
    आपकी ग़ज़ल पहले भी पढता रहा हूँ.. आज भी उतना ही आनंद आया!!

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  28. दुआओं से लबरेज़ खूबसूरत ग़ज़ल.

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  29. बहुत खूबसूरत गज़ल है निर्मला दी ! हर शेर कमाल का है और उसमें अभिव्यक्त की गयी भावनायें लाजवाब हैं ! आप ने बिलकुल सही कहा दी अगर पिछले वर्ष आप कुछ समय और यू एस में रुक जातीं या मैं ही पहले पहुँच गयी होती तो हम लोग यादगार समय बिता पाते ! यदि संभव हुआ तो भविष्य में कभी साथ साथ प्रोग्राम बनायेंगे ! इतनी प्यारी रचना के लिये बधाई तो स्वीकार कर लीजिए !

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  30. बहुत अच्छी,भावपूर्ण पंक्तियां हैं। अनुभवों से सराबोर। आशा की किरण लिए भी।

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  31. खूबसूरत शेरों से सुसज्जित सुंदर गजल

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  32. नहीं गोलियां कभी रही हल किसी का ...
    हर तरफ अमन और चैन का सन्देश ही होना चाहिए ...

    मुश्किल काफिये को बड़े ढंग से निभाया ..
    आभार !

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  33. .

    ऐ खुदा करो ये इनायत कि ख़ुशी नहीं मेरी भंग हो ...... वाह !...लाजवाब !

    गजलों और कहानियों में आपका कोई सानी नहीं है ।

    .

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  34. वाह ...बहुत खूब ..।

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  35. बहुत ही उम्दा ग़ज़ल ...दुबारा पढने पर भी वाही ताजगी ... वाही उमंग ....
    हर शेर खिल रहा है ... बहर में ... आपका निश्चय देख कर उत्साहित होता हूँ मैं भी अक्सर ..

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  36. निर्मलाजी धन्यवाद
    अगली प्रस्तुति गुरु पर ही होगी आश्वासन देता हूँ.

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  37. बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल. आनंद आ गया आभार .

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  38. .कविता में सन्देश अच्छा है.

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  39. इस बेहतरीन और खूबसूरत ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद !

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  40. आपने मेरी पिछली पोस्ट पर गूगल के द्वारा पोस्ट न ऊठा पाने की समस्या का समाधान जानना चाहा था जो कम्प्यूटर में खराबी आ जाने के कारण मैं उत्तर नहीं दे पाया था वही कोशिश यहाँ कर रहा हूँ-
    गूगल वास्तव में किसी की भी कोई पोस्ट नहीं दिखाता बल्कि हिन्दी के ब्लाग्स की जानकारी चाहने वालों को अपने ब्लाग के बारे में जानकारी देता है ।
    उम्मीद है आपकी जिज्ञासा का समाधान हो सकेगा । धन्यवाद सहित...

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  41. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।

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  42. मेरे खाब तो मुझे दें ख़ुशी, रहे जोश में जरा मन मेरा
    ऐ खुदा करो इनायत जरा, मेरी ये ख़ुशी नहीं भंग हो

    आपकी इस खूबसूरत ग़ज़ल के सभी शेर
    बहुत अच्छे और प्रभावशाली हैं
    ये शेर मुझे ख़ास तौर पर बहुत पसंद आया ....

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  43. Bahut khoob kahati ho ! mubarak ho !

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  44. सभी शेर सुन्दर बन पड़े हैं....

    प्यारी ग़ज़ल लिखी आपने....

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  45. बहुत अच्छी और खासी लम्बी ग़ज़ल पढवाने के लिए आपका धनयवाद. बहुत लम्बे अरसे बात बेहतरीन ग़ज़ल पढने का मौका मिला.

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  46. निर्मला जी,
    इस बेहतरीन और खूबसूरत ग़ज़ल के लिए आपका धनयवाद !

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आपकी प्रतिक्रिया ही मेरी प्रेरणा है।