गण्तंत्र दिवस की उन सब को हार्दिक शुभ कामनायें जो देश के प्रति प्रेम और इसके संविधान मे आस्था रखते हैं। कुछ पँक्तियाँ पेश हैं
थोडी सी मुस्कान चाहिये
कुछ साँसें आसान चाहिये
और नही है चाहत कोई
रोटी वस्त्र मकान चाहिये
बन सकता है देश स्वर्ग
शास्कों मे ईमान चाहिये
लोगों की इस भीड मे यारो
बस थोडे से इन्सान चाहिये
देश रहे खुशहाल सदा ही
हर घर मे धन धान चाहिये
विश्वगुरू भारत कहलाये
बस और नही वरदान चाहिये
कुछ साँसें आसान चाहिये
और नही है चाहत कोई
रोटी वस्त्र मकान चाहिये
बन सकता है देश स्वर्ग
शास्कों मे ईमान चाहिये
लोगों की इस भीड मे यारो
बस थोडे से इन्सान चाहिये
देश रहे खुशहाल सदा ही
हर घर मे धन धान चाहिये
विश्वगुरू भारत कहलाये
बस और नही वरदान चाहिये
बहुत सुंदर .....गणतंत्र दिवस की मंगलकामनाएं
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर.. सटीक
ReplyDeleteजय हिन्द
61 वर्ष से यही तो सपना देखते आ रहे हैं, पर पूरा नहीं होता।
ReplyDeleteसभी को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ...
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.....जय हिंद
ReplyDeleteकविता के फ़ोंट का रंग बदल लें, पढ़ने में बहुत तकलीफ़ हो रही है।
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ग़ज़ल ।
ReplyDeleteआपको भी गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें निर्मला जी ।
आप सब को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं.
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभकामना
ReplyDeleteसुन्दर रचना. गणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं.
ReplyDeleteये पंक्तियां मानो हमारे अब तक के सफर का दस्तावेज हैं!
ReplyDelete"विश्वगुरू भारत कहलाये
ReplyDeleteबस और नही वरदान चाहिये"
बहुत सुंदर रचना
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।
जय हिंद
गणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ....
ReplyDeleteयही कामनायें हमारी भी हैं।
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रेरणदायी कविता. पढ़ कर अद्भुत अनुभूति हुई. आभार.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ....गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर आप को ढेरों शुभकामनाये
ReplyDeleteमेरी भी यही कामना है ......गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteआप सभी कों गणतंत्र दिवस की बधाई एवं शुभकामनायें !
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की आपको हार्दिक शुभकामनायें.
ReplyDeleteबहुत सुंदर .....
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की मंगलकामनाएं
के लिए बहुत अच्छे वरदान मांगें हैं.धन्यवाद.आप सब को भी ऐसी ही खुशहाली मिले.
ReplyDeleteवन्देमातरम !
ReplyDeleteबस शासकों में ईमान की कामना पूर्ण हो जाए तो बाकी तो स्वयं ही मिल जायेगा ...
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें..
बहुत सुन्दर और सार्थक कामनायें..गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई !
ReplyDeleteआप की ख्वाहिशें पूरी हों बस यही दुआ है क्योंकि सच्चे भारतीयों की ख्वाहिश भी यही है
ReplyDeletesukh shaanti bani rahe bas...
ReplyDeletehappy rpblc day.
बहुत सुंदर ....गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें और बधाई
ReplyDeleteउत्तम चाहत.
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएँ...
गणतंत्र दिवस की मंगलकामनाएं ... Sundar abhilaasha hai ..
ReplyDeleteसुंदर .....गणतंत्र दिवस की मंगलकामनाएं !
ReplyDeleteसही लिखा है आपने. सुंदर रचना.
ReplyDeleteसुंदर रचना है, गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteविश्वगुरू भारत कहलाये
ReplyDeleteबस और नही वरदान चाहिये
सार्थक कामनायें..
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें और बधाई.
Aapko bhee gantantr diwaskee dheron badhayi!
ReplyDeleteनपे तुले शब्दों में,सच्ची शुभकामानायें
ReplyDelete.
ReplyDeleteनिर्मला जी मुझे एक प्लान चाहिए.
धीमे स्वर सुनने वाले कान चाहिए.
ब्लोगों की इस भीड़ में यारो
मुझे थोड़े और कदरदान चाहिए.
और नहीं है चाहत कोई
बुरा लिखूँ तो भी गुणगान चाहिए.
बन सकता है देश स्वर्ग
अच्छे ब्लोगर उर्ध्व गतिमान चाहिए.
शेष रहें खुशहाल सदा ही
उनको भी उचित सम्मान चाहिए.
दौड़ शुरू अपनी हो जाये
निज ब्लॉग को भी दर्शन दान चाहिए.
यदि हम देश-भक्त हैं तो हमारे समस्त क्रिया-कलापों में वह गंध आनी चाहिए कि अलग से कुछ कहने की ज़रुरत न रहे.
— क्या कारण है कि फिर भी आज़ राष्ट्रीय स्वरों का घोष करते रहने की ज़रुरत लगती है?
— क्या राष्ट्रीय स्वर हमारी सामान्य बातचीत में भी महसूस किया जा सकता है?
— क्या मैं जबरन एक 'राष्ट्रीय क...वीता' लिखूँ?
______________
मुझे रस आया आपकी कविता में.
.
बहुत सुंदर ....गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें और बधाई
ReplyDeleteबहुत सुंदर ....गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें और बधाई
ReplyDeleteHappy Republic Day.........Jai HIND
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की आपको भी हार्दिक वधाई, निर्मला जी. और, और इस सुन्दर व भावपूर्ण पोस्ट के लिए बहुत-बहुत आभार .........
ReplyDeleteदीदी,
ReplyDeleteआपकी ग़ज़ल पढकर, खासकर यह शे’र .. लोगों की भीड़ में यारों, बस थोड़े इंसान चाहिए, डॉ. इकबाल का एक शेर याद आ गया,
ख़ुदा तो मिलता है, इंसान ही नहीं मिलता,
ये चीज़ वो है, जो देखी कहीं कहीं मैंने। -- डा. इकबाल
शुभकामनाएं!
सटीक रचना.
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.....जय हिंद
और नही है चाहत कोई
ReplyDeleteरोटी वस्त्र मकान चाहिये
सही लिखा है आपने. सुंदर रचना
आपको भी गणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं.
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत रचना!!!
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस पर आपको भी ढेरों शुभकामनायें
जय हिंद!
गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteसुन्दर कामनाएँ!
ReplyDeleteगणतन्त्र दिवस की 62वीं वर्षगाँठ पर
आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
निर्मला जी,
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया गज़ल. मतला तो बस गज़ब का है..
बहुत सुन्दर भावनाएं प्रेषित कीं आपने ..सुन्दर गज़ल के साथ..
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर भावमय करते यह शब्द ...बेहतरीन ।
ReplyDeleteसुन्दर पंक्तियाँ |बधाई
ReplyDeleteआशा
ati uttam...
ReplyDeleteविश्वगुरू भारत कहलाये
ReplyDeleteबस और नही वरदान चाहिये
बस यही कामना है ...शुभकामनाएं
shubhkamnayen
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.....जय हिंद
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !
ReplyDeleteबहुत सही आपने लिखा है ,
थोड़ी सी मुस्कान चाहिए,
कुछ साँसें आसान चाहिए !
काश !ऐसा ही हो
लोगों की इस भीड मे यारो
ReplyDeleteबस थोडे से इन्सान चाहिये
देश रहे खुशहाल सदा ही
हर घर मे धन धान चाहिये
सुन्दर पंक्तियाँ ,आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
सहज शब्दों में गणतंत्र की आकांक्षाओं को अभिव्यक्त किया है... गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामना !
ReplyDeleteसहज शब्दों में गणतंत्र की आकांक्षाओं को अभिव्यक्त किया है... गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामना !
ReplyDeleteबन सकता है देश स्वर्ग
ReplyDeleteशासकों में ईमान चाहिए...
बहुत अच्छा संदेश...शुभकामनाएं.
देर से पहुंचा लेकिन दरुस्त पहुंचा.
ReplyDeleteलोगों की इस भीड़ में यारो
बस थोड़े से इंसान चाहिए
बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल है .आपको भी शुभ कामनाएं
गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई !
ReplyDeleteबन सकता है देश स्वर्ग
ReplyDeleteशासकों में ईमान चाहिए...
बहुत सुन्दर और प्रेरणादायक रचना । हम सभी यही उम्मीद करते है, कभी तो ये देश सबसे आगे होगा ।
पावन भावोद्गार....
ReplyDeleteसचमुच यह मिल जाए तो और क्या चाहिए...
विश्व गुरू की कामना प्रासंगिक है और हमारी रीति के अनुरूप भी। सुंदर भाव।
ReplyDeleteआज़ादी के इतने बरसों बाद भी रोटी,कपड़ा और मक़ान के लिए तरसता आदमी। ओफ!
ReplyDeleteरोटी, वस्त्र, मकान अभी भी असंख्य देशवासियों के ख्वाब में आते हैं। शेर आज भी झकझोरता है।
ReplyDeleteआपकी रचना आज कल के हालत को दर्शाती है ... बहुत दुःख होता है ये जान कर की देश के गणतंत्र दिवस की ६२ वीं वर्षगाँठ पर रोटी कपडा मकान के लिए लोग तरस रहे हैं
ReplyDeleteबहुत सुंदर ....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव... विश्वगुरु बने हमारा भारत ....कभी न कभी ओ सुबह जरुर होगी.... शुभकामनाएं
ReplyDeletepriya madam kapila ji ,
ReplyDeletepranam ,
viswa guru bharat kahlaye bas aur nahin vardan -----. kya jajbat hain
desh-pem ki atut chahat .salam hai aapke jajbaton ko . sundar rachana .
badhayi.