10 December, 2010

दुखान्त सुखान ---

दुखान्त-- सुखान्त

उस दिन सोच कर आयी थी --- बाजी को बता दूँगी कि मै अमन से प्यार करती  हूँ और उससे शादी करना चाहती हूँ अमन की मम्मी भी मुझ से कितना प्यार करती है और मुझे बहु बनाने के लिये कितनी उतावली हैं।
घर पहुँचते पहुँचते ख्यालों के पुलाव बनाये जा रही थी---- ये उतावलापन भी दूध के उफान सा होता है बिना सोचे समझे सब कुछ उगल देने को आतुर-----। समझ नही आ रहा था कि बात कैसे शुरू करूँ? क्या बाजी मान जायेंगी? बस फिर उफान नीचे सरक जाता---- अगर मान भी गयी तो क्या पापा को मना पायेंगी?----- कुछ आशा की झाग समेटे घर मे दाखिल हुयी। बाजी ड्राईंग रूम मे बैठी कोई किताब पढ रही थीं। कितना ओज़ था उनके चेहरे पर आत्मविश्वास के रुपहली पर्त ---- । सामने दीवार पर उनकी आदमकद फ्रेम मे जडी फोटो लगी थी। बाजी कभी अपनी शादी की कोई बात नही करती थी।मुझे उनके पति के बारे मे कुछ पता नही था बस इतना पता था कि वो विधवा हैं। मै उनकी फोटो के पास जा कर खडी हो गयी----
"बाजी मुझे आपकी ये फोटो बहुत अच्छी लगती है---- जैसे कोई महारानी खडी हो। इतनी भारी साढी और जेबर क्या ये जेबर असली हैं?" --- बात शुरू करने से पहले मैं उन्हें टटोलना चाहती थी।
"खाइस सोने और हीरे के"
"फिर तो बहुत मंहगे होंगे? कितनी कीमत होगी इनकी?"
"बेटी इनकी कीमत मत पूछ । इन जेबरों की ऋण मै आज तक नही चुका पाई।" बाजी ने ठँडी साँस भरते हुये कहा।
"ऋण? क्या ये आपने खुद बनवाये थे?" मैने हैरानी से पूछा।
" नही ससुराल वालों ने शादी मे पहनाये थे और बदले मे मेरे सारे सपने गिरवीं रख लिये थे।"
" वो कैसे?" मै विस्मित सी उनकी तरफ देख रही थी।
न जाने कितनी पीडा कितने अतीत के साये उनकी आँखों मे बदली बन कर छा गये थे। आँखों की नमी बता रही थी कि उन्होंने बहुत दुख झेले हैं।
"क्या करोगी जान कर ? जाओ अपनी पढाई करो।" बाजी जरा सोचते हुये बोली।
"बाजी आज मै जानकर ही रहूँगी। आज आपसे अपने मन की बात करने आयी थी। आपकी तस्वीर देख कर मुझे भी लगता है कि मै अपनी शादी किसी अमीर परिवार मे ही करूँगी जहाँ महाराणी की तरह राज करूँ धन दौलत बढिया कपडे,जेबर ,ऎश आराम गाडी बंगला सब कुछ हो और नौकर चाकर आगे पीछे हों------"
"अच्छा अब जमीन पर आ जाओ। जितने पँख फैला सको उतनी ऊँचाई तक ही उडान भरनी चाहिये। मगर तुम ऐसी बातें कैसे सोचने लगी?पहले खुद को इस काबिल बनाओ कि खुद इतना धन कमा सको। आत्मनिर्भरता का सुख और खुशी दुनिया की किसी भी दौलत से बडी होती है। फिर तेरे मध्यम परिवार के माँ बाप कहाँ से ऐसा घर ढूँढेंगे?"
" बाजी मेरी बात छोडो पहले आप बताओ कि  जब आपके ससुराल वाले इतने आमीर थे तो आपने इतनी छोटी सी नौकरी क्यों की और इस छोटे से घर मे क्यों रह रही हैं?"  आज उनके आतीत को जानने की उत्सुकता बढ गयी थी। हम दो साल पहले ही इस घर मे, उनके पडोस मे आये थे बस इतना ही जानती हूँ कि वो विधवा हैं और उनका एक बेटा है जो डाक्टरी की पढाई कर रहा है। दो साल मे ही बाजी हमारे घर की सदस्य जैसी हो गयी थी।
" शुची आज तुम्हें ये सब बताना जरूरी हो गया है। क्योंकि जिस आसमान के तुम सपने ले रही होउसके मैने भी सपने देखे थे। बिना पँख ऊदने की कोशिश की लेकिन धडाम से नीचे जमीन पर आ गिरी।" बाजी ने अपनी कहानी शुरू की और मैं उनका बाजू पकड कर उनसे सट कर बैठ गयी।
" हमारे पडोस मे एक शादी थी। उस शादी मे मेरे ससुराल वालों ने मुझे देखा तो मै उनको भा गयी। उन्होंने अपने इसी पडोसी के दुआरा मेरे रिश्ते की बात चलाई।------ क्रमश:

49 comments:

  1. बदले में मेरे सारे सपने गिरवी रख लिए ...कुछ- कुछ समझ आ रहा है ...
    अगली कड़ी का इंतज़ार !

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  2. रुचिकर लग रही है कहानी .... अगली कड़ी के लिए उत्सुकता है.....

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  3. bahut hi rochak kahaani...agli kadi jaldi se daaliye.

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  4. कहानी में रोचकता और संवाद इसकी अगली कड़ियों के लिए बेचेनी पैदा कर रहे हैं ....क्रमश

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  5. शीर्षक तो रोचक है, जारी रखिये ...

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  6. अगली कडी का इन्तजार...

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  7. शुरूआत तो बहुत ही रूचिकर है ...अगली कड़ी का इंतजार रहेगा ...।

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  8. काफी अच्छी लगी अबतक...आगे के इन्तजार मेँ...

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  9. bahut hee rochak lag rahee hai kahanee agalee kadee kee utsukta se pratiksha shuru ho gayee hai........

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  10. शुरूआत तो बहुत ही रूचिकर है

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  11. बाजी के अनुभव से आगे की तस्वीर बनेगी....

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  12. रोचक कहानी अगली कडी का इंतज़ार है …………

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  13. रोचकता तो है कहानी में ..अब देखते हैं अगली कड़ी.

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  14. कहानी तो बड़ी रोचक होती जा रही है, क्या घूमकर स्वयं ही संस्तुति मिल जायेगी।

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  15. कहानी रोचक लग रही है...उत्सुकता बनी हुई है..अगली कड़ी का इंतज़ार

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  16. अगली कडी का इन्तजार... hame bhi rahega:)

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  17. सच में बड़ी बड़ी ढींगे मारने वाले अपनी एक नयी सपनों की दुनिया बना लेते हैं और फिर उसमें ही फँस कर रह जाते है..
    माँ जी बहुत अच्छी सुघढ़ कहानी ...... बहुत दिन से व्यस्तता के चलते ब्लॉग पर आना संभव नहीं हो पा रहा था ......

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  18. काफी अच्छी लगी अबतक...आगे के इन्तजार मेँ...

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  19. पूरी कहानी पढने के बाद ही कुछ लिखा जाना सही रहेगा ....वैसे कहानी मन को भा रही है ...

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  20. यह तो अच्छी कहानी शुरू है ...आगे ?

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  21. भाग दो की प्रतीक्षा है.

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  22. कहानी के सुंदर आगाज ने अंजाम तक पहुँचने की इच्छा जगा दी है। बुक मार्क करना पड़ेगा।

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  23. अगली कड़ी के लिए उत्सुकता है....

    Shkehar kUmawat

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  24. निम्मो दी,सस्पेंस मुझसे बर्दाश्त नहीं होता..मैंने कहा भी था किसी से कि मैं जासूसी नॉवेल भी आखिर से पढकर तब शुरू करता था.
    अच्छा सस्पेंस बनाया है आपने! देखें आगे क्या होता है!

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  25. थोडा बहुत तो समझ रहे हैं लेकिन पूरी कहानी तो आगामी भाग से ही समझ में आ पाएगी....प्रतीक्षा कर रहे हैं.

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  26. बहुत ही रोचक शुरूआत है, आगे का इंतजार है.

    रामराम.

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  27. रोचक लगी पहली किस्त, आगे की कड़ियों का इंतजार रहेगा।
    आभार स्वीकार करें।

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  28. बहुत रोचक लगी कहानी,अगली कडी का इंतजार, धन्यवाद

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  29. कहानी तो रोचक मोड़ पर है, आगे इंतजार है।

    निवेदन है कि एक ही बार में कहानी दे दीजिये तो पढ़ने का आनंद दोगुना हो जाता है।

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  30. अप सब का बहुत बहुत धन्यवाद मेरे ब्लाग पर आने के लिये। लेकिन मै दो दिन किसी ब्लाग पर नही आ पाऊँगी। पंजाब मे बिजली कर्मचारियों की हडताल के चलते केवल दो तीन घन्टे बिजली मिल पा रही है। इस लिये नेट से दूर रहना पडेगा। क्षमा चाहती हूँ।

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  31. कहानी बहुत अच्छी लग रही है.... अब आगे का इंतज़ार है...

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  32. कहानी रोचक है अगली कड़ी के बाद ही कुछ कह सकूँगा

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  33. अब तो मुझे भी अगली कड़ी का इंतज़ार है।

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  34. ये गलत बात है...मेरी उत्सुकता बढ़ने लगी और कहानी अगले पार्ट में..
    चलिए इन्तेज़ार में हूँ मैं भी :)

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  35. कहानी की रोचकता अगली कड़ी के लिए उत्सुकता पैदा कर चुकी है !
    प्रतीक्षारत ,
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

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  36. आपकी कहानिया इतनी रोचक होती हैं की आगे की कड़ी का बेसब्री से इंतज़ार रहता है...

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  37. कहानी बड़ी ही मर्मस्पर्शी प्रतीत हो रही है ! कथानक बहुत कसा हुआ है और जिज्ञासा को जगा रहा है ! अगली कड़ी की प्रतीक्षा है !

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  38. दीये तले अंधेरा। धन-दौलत के बोझ से दम तोड़ती ज़िंदगी। स्याह हक़ीकत। न जाने कितनी औरतों ने झेला है यह सब।

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  39. कहानी की शुरुआत बहुत ही दमदार है...स्त्रियों की मुख्य समस्या पर आधारित है...बधाई!

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आपकी प्रतिक्रिया ही मेरी प्रेरणा है।