यहाँ देखें हिन्दी हाईकु के लिये
http://hindihaiku.wordpress.com/1
कलियाँ खिली---------
मौसम भीगा भीगा
रुत प्यार की
2 परछाई हूँ ----------
तेरी साजन मेरे
संग चलूँगी
3 दोस्त कैसे?---
गिरगिट के जैसे
रंग बदलें
5 झूमें सखियाँ
कृ्ष्णा रास रचाये----
राधिका संग
6 बाँटे रोशनी
दुनियाँ को ,घर हो -----
तेरा रोशन
7 मुद्दत बाद
मिले जो हम तुम -----
बहार आयी
8 तन्हाई मेरी
याद दिलाती तेरी-----
आओ साजन
9 तिलमिलाना
छटपटाना, क्रोध
आदत बुरी
10 सोच जिससे
किसी को सुख मिले-------
इन्साँ है गर
http://hindihaiku.wordpress.com/1
कलियाँ खिली---------
मौसम भीगा भीगा
रुत प्यार की
2 परछाई हूँ ----------
तेरी साजन मेरे
संग चलूँगी
3 दोस्त कैसे?---
गिरगिट के जैसे
रंग बदलें
5 झूमें सखियाँ
कृ्ष्णा रास रचाये----
राधिका संग
6 बाँटे रोशनी
दुनियाँ को ,घर हो -----
तेरा रोशन
7 मुद्दत बाद
मिले जो हम तुम -----
बहार आयी
8 तन्हाई मेरी
याद दिलाती तेरी-----
आओ साजन
9 तिलमिलाना
छटपटाना, क्रोध
आदत बुरी
10 सोच जिससे
किसी को सुख मिले-------
इन्साँ है गर
नया प्रयोग,
ReplyDeleteयह क्या ?
नयन हतभ्रत !
यह प्रयास दिलचस्प लगा, जारी रखिये ....
बहुत अच्छा, कभी प्रयास नहीं किया पर लयात्मकता दिखती है।
ReplyDeleteनमस्कार जी ...स्वीकार करें
ReplyDeleteएक से बढ़कर एक..सभी में सन्देश छुपा है ...शुक्रिया
सुन्दर हाईकु..पसंद आये.
ReplyDeleteक्या बात है। बड़े दिनों बाद अच्छे हाइकू पढ़ने को मिले। बधाईयाँ...
ReplyDeleteवाह निर्मला जी आपके यहाँ कुछ नया पढ़ने को मिला वो भी इतनी सुन्दर ...
ReplyDeleteसोच रहा हूँ मैं भी कोशिश करके देखूं पर इसके नियम नहीं पता है ...
आदरणीय निर्मला जी
ReplyDeleteनमस्कार !
.....सभी में सन्देश छुपा है
बहुत पसन्द आया
हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
बहुत सुन्दर.
ReplyDeleteसभी बढ़िया लगे.
पढ़ा,पढ़ूंगा
ReplyDeleteकई कई बार
शत आभार
बहुत अच्छे लगे सब !!
ReplyDeleteसब एक से बढ़कर एक ....।
ReplyDeletelaajwaab ........rachna
ReplyDeleteबहुत ही दिलचस्प हाइकू हैं सभी अच्छे लगे………बधाई।
ReplyDeleteसभी एक से बढ़ कर एक ...बहुत सुन्दर प्रयास ...यह विधा भी मन मोह लेती है ...बेहतरीन
ReplyDelete... niraalaa andaaj !!!
ReplyDeleteसंदेशपरक ...अच्छी रचनाएँ ...
ReplyDeleteनिर्मला जी,
ReplyDeleteआपके सभी हाइकू छिली हुई पेंसिल की तरह नुकीले हैं !
तीन छोटी छोटी पंक्तियों में अभिव्यक्ति का सारा समुन्दर भरा पड़ा है !
मेरी शुभकामनाएं स्वीकार करें !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
सैल जी ये मेरा प्रथम प्रयास है। अधिक नीयम तो मुझे भी अभी पता नही लेकिन मैने हिन्दी हाईकु नामक ब्लाग के यहाँ पढ सकते हैं--- http://hindihaiku.wordpress.com/author/rkamboj/ मैने भी कम्बोज जी से ये विधा सीखी है। अभी किसी को बताने जितनी सामर्थ्य नी है। धन्यवाद।
ReplyDeleteये हाईकु क्या होता है ????
ReplyDeleteवैसे जो भी है अच्छा लग रहा है ....
हाइकू ... कई जगह पढ़ा तो है पर हाथ नहीं आजमाया कभी ... आपने तो कमाल ही किया है इस विधा में ... छोटी छोटी लाइनों में बहुत कुछ समेटना आसान नहीं होता ... पर गज़ब की क्षमता है आपमें ... लाजवाब ....
ReplyDeleteबहुत बढिया......
ReplyDeleteये विधा भी गजब की है, सिर्फ तीन पंक्तियों में ही सब कुछ कह देती है.
बहुत खूब निर्मला जी ! आजकल हिंदी हाइकू का बहुत प्रचलन है जारी रखिये.
ReplyDeleteHaiku ye term to pahli bAAR suna.....
ReplyDeletejo bhi ho, Nirmala di aapko padh kar achha laga bas.....
बहुत बढ़िया !!
ReplyDeleteसुन्दर हाईकू पढ़वाने के लिये आभार।
बहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteये प्रयास तो रंग ले आया
bahut badhiya lagaa....aaj jaanaa haikoo ko.
ReplyDeletekapila ji , in shabdon ko itne sahi aur kam shabdon men aapne pribhashit kiya hai vo kabile tarf hai.
ReplyDeleteआपका ये अंदाज़ भी पसंद आया। --आभार।
ReplyDeleteआपने हाइकु के साथ न्याय किया है । लेकिन एक साथ इतने लिख पाना वास्तव में कमाल का काम है ।
ReplyDeleteमुझे मालुम तो नहीं हाइकू क्या होता है लेकिन ये बहुत ही कलात्मक बन पड़ा है...एकदम नया कुछ देखने को मिला मुझे तो :)
ReplyDeleteबहुत बहुत अच्छा लगा...
वाह, लाजवाब लगी ये प्रयोगधर्मिता, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
इतने कम शब्दों में इतनी सुन्दर अभिव्यक्ति ....
ReplyDeleteवाह
वाह...निर्मला जी...बहुत अच्छा प्रयोग है.
ReplyDeleteअच्छा प्रयोग है
ReplyDeleteसुंदर शब्द संयोजन
आभार
यह विधा भी कमाल की बन पड़ी है...एक से बढ़कर एक सुंदर....बढ़िया पोस्ट के लिए बधाई..प्रणाम माता जी
ReplyDeleteहर हाईकु कमाल के.......
ReplyDeleteभावों ने मन मोह लिया निम्मो दी! लेकिन हाईकू में बिल्कुल शून्य हूँ मैं!!
ReplyDeleteनिर्मला जी बहुत सुंदर रचना, लेकिन उस से भी सुंदर आप का स्वभाव मिला, आप को देख कर लगा जेसे मेरी मां मेरे सामने खडी हे, आप के बात करने का भी वही ढंग, दिखने मै भी वेसी ही, बहुत अच्छा लगा, अब जब भी भारत आया आप के दर्शन करने जरुर आऊंगा.
ReplyDeleteधन्यवाद
हाइकु में कम पढना पड़ता है :) ये अच्छी चीज है वही बात जब कम शब्दों में कह दी जाय तो क्या जरुरत है कहानी कहने की.
ReplyDeleteसबसे अच्छा तो तीसरा है -दोस्त कैसे-----
ReplyDelete....सुंदर, नाजुल कलियां बिखरी हुई है!...अति सुंदर !
ReplyDeleteनिर्मला दी देरी से आने के लिये क्षमाप्रार्थी हूँ ! आपको पढ़े बिना मैं रह ही नहीं सकती ! एक यही पोस्ट रह गयी थी उसे आज पढ़ लिया और इसके कथ्य और शिल्प दोनों ने ही मुग्ध कर दिया है ! बहुत ही सकारात्मक सन्देश देतीं खूबसूरत पंक्तियाँ हैं ! इस हाइकू के बारे में मुझे भी सिखाइये ! इस उपलब्धि के लिये आपको बहुत बहुत बधाई !
ReplyDeleteसुन्दर हाईकु....
ReplyDeletebo vadiyaa ji
ReplyDeleteअच्छे हाइकू ! साधुवाद
ReplyDeletebahut khoob!
ReplyDeleteअच्छी पंक्तियों के हाइकु. कुछ नए प्रयोग देखने को मिले.
ReplyDeleteबहुत ही प्रभावित करने वाले हाइकू प्रस्तुत किये हैँ आपने । बहुत बहुत शुभकामनायेँ।
ReplyDeleteबहुत ही प्रभावित करने वाले हाइकू प्रस्तुत किये हैँ आपने । बहुत बहुत शुभकामनायेँ।
ReplyDeleteएक से बढ़ कर एक ,शुभकामनायेँ।
ReplyDeleteअच्छे हाइकू,लाजवाब लेखन
ReplyDeleteaadarniy mam
ReplyDeleteaapne aaj ek nai vidha se parichay karaya.iske liye aapko bahut bahut dhayvaad.
sach me chhooti chhooti panktiyo me badi baate kah jaana ,kamaal hai.
mai bhi koshish jaroor karungi.
isbehatreen prastuti avam jaan kaari dene ke liye aapko punah dil se badhai.
poonam
बहुत सुन्दर लिखा आपने...बधाई.
ReplyDelete______________
'पाखी की दुनिया' में छोटी बहना के साथ मस्ती और मेरी नई ड्रेस
बहुत सुन्दर लिखा आपने...बधाई.
ReplyDelete______________
'पाखी की दुनिया' में छोटी बहना के साथ मस्ती और मेरी नई ड्रेस
आजकल इंसान कम ही हैं निर्मला जी ! आभार अच्छी रचना के लिए !
ReplyDeleteNice post .
ReplyDeleteऔरत की बदहाली और उसके तमाम कारणों को बयान करने के लिए एक टिप्पणी तो क्या, पूरा एक लेख भी नाकाफ़ी है। उसमें केवल सूक्ष्म संकेत ही आ पाते हैं। ये दोनों टिप्पणियां भी समस्या के दो अलग कोण पाठक के सामने रखती हैं।
मैं बहन रेखा जी की टिप्पणी से सहमत हूं और मुझे उम्मीद है वे भी मेरे लेख की भावना और सुझाव से सहमत होंगी और उनके जैसी मेरी दूसरी बहनें भी।
औरत सरापा मुहब्बत है। वह सबको मुहब्बत देती है और बदले में भी फ़क़त वही चाहती है जो कि वह देती है। क्या मर्द औरत को वह तक भी लौटाने में असमर्थ है जो कि वह औरत से हमेशा पाता आया है और भरपूर पाता आया है ?
निर्मला जी, आपकी यह पोस्ट कैसे छूट गयी? शायद चिट्ठा जगत की हडताल के दिनों में। हाइकू लिखने पर बधाई।
ReplyDeletepoorn bimb liye hain 'haaikoo '
ReplyDeleteapne me sampoorn rchnaa hain 'haaikoo'
veerubhai .
shukriyaa .