23 September, 2010

गज़ल्

आज गज़ल उसताद श्री प्राण शर्मा जी की एक गज़ल पढिये

ग़ज़ल - प्राण शर्मा

क्यों न हो मायूस मेरे राम जी अब आदमी
इक सुई की ही तरह है लापता उसकी खुशी

माना कि पहले कभी इतनी नहीं ग़मगीन थी
गीत दुःख के गा रही है हर घड़ी अब ज़िन्दगी

कितना है बेचैन हर इक चीज़ पाने के  लिए
आदमी को  चाहिए अब चार घड़ियाँ चैन की

झंझटों में कौन पड़ता है जहां में  आजकल
क़त्ल होते देख कर छुप जाते हैं घर में सभी

बात मन की क्या सुनायी जान कर अपना उसे
बात जैसे पर लगाकर हर तरफ उड़ने   लगी

दोस्ती हो दुश्मनी ये बात मुमकिन है मगर
बात ये मुमकिन नहीं कि दुश्मनी हो स्ती

दिन  में चाहे बंद कर लो खिड़कियाँ ,दरवाज़े तुम
कुछ न कुछ तो रहती ही है सारे घर  में रोशनी

कोई कितना भी  हो  अभ्यासी मगर ए दोस्तो
रह ही जाती है सदा अभ्यास में थोड़ी   कमी

हमने सोचा था  करेंगे काम अच्छा रोज़  हम 
सोच इन्सां की ए यारो एक सी कब है  रही

गर कहीं मिल जाए तुमको मुझसे मिलवाना  ज़रूर
एक मुद्दत से नहीं देखी  है  मैंने  सादगी

हो भले ही शहर कोई " प्राण "  लोगों से भरा
सैंकड़ों में मिलता  है पर संत जैसा आदमी 


50 comments:

  1. लाजवाब। सारे ही शेर एक से बढ़कर एक।

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  2. लाजवाब ग़ज़ल.........वाह !

    ज़िन्दगी की तलहटी से यथार्थ की सतह तक पूर्ण रूप से सटीक सभी शे'र सराहनीय

    प्राण जी की जय हो !

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  3. आभार इस खुबसूरत ग़ज़ल से रूबरू करने का
    regards

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  4. लाजवाब ग़ज़ल !

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  5. वाह! वाह! बहुत ही ख़ूबसूरत और लाजवाब ग़ज़ल! हर एक शेर एक से बढ़कर एक हैं!

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  6. गर कहीं मिल जाए तुमको, मुझसे मिलवाना जरूर ,
    एक मुद्दत से नहीं देखी है मैंने सादगी !
    बहुत सुन्दर !

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  7. गर कहीं मिल जाए तुमको, मुझसे मिलवाना जरूर ,
    एक मुद्दत से नहीं देखी है मैंने सादगी !

    बहुत ही सुन्‍दर शब्‍द, प्रस्‍तुति के लिये आभार ।

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  8. वाह वाह बहुत खूब ..बहुत सुन्दर लगा हर शेर ..खासकर गर कहीं मिल जाए तुमको, मुझसे मिलवाना जरूर ,
    एक मुद्दत से नहीं देखी है मैंने सादगी !

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  9. वाह्! बेहद उम्दा गजल.....खासकर ये शेर तो बहुत ही बढिया लगा कि "दिन में चाहे बन्द कर लो खिडकियाँ, दरवाजे तुम..."

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  10. प्राण साहब की बेहतरीन गज़ल . यहाँ पढवाने का शुक्रिया.

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  11. bahut suMdae gajal!...pran saahab ki anikhi kruti!...prastuti ke liye dhanyawaad!

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  12. बेहतरीन ग़ज़ल है...हर शेर लाज़बाब

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  13. ये अजीब मिज़ाज का शहर है,
    ज़रा फ़ासलों से मिला करो,
    कोई हाथ भी न मिलाएगा,
    गर गले मिलोगे तपाक से....

    जय हिंद...

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  14. गर कहीं मिल जाए तुमको, मुझसे मिलवाना जरूर,
    एक मुद्दत से नहीं देखी है मैंने सादगी !

    दिल को छू गयी ये रचना। ढेरों शुभकामनायें.

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  15. प्राण साहब की ग़ज़ल में इतना कुछ होता सीखने और समझने के लिए ..... मैं बयान नही कर सकता .... ये ग़ज़ल भी जीवन के दर्शन को बयान कर रही है ....

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  16. दीदी, बहुत अच्छी ग़ज़लें पढवाईं आपने। इन ग़ज़लों को सिर्फ़ महसूस किया जा सकता है, टिप्पणी देने की क्षंमता नहीं है।

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  17. बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल....वाह !!!

    हर शेर उम्दा..

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  18. एक एक शेर जिंदगी में उतारने जैसा है प्राण साहब की इस गज़ल का...आज की हालात पर तब्सरा करती ये ग़ज़ल अविस्मरणीय है...जिंदगी के तजुर्बों को निचोड़ कर अपने अशआरों में ढाल दिया है गुरुदेव ने...ग़ज़ल लेखन की ये क़ाबलियत ही उन्हें भीड़ में सबसे अलग खड़ा करती है...

    उन्हें और उनकी लेखनी को नमन करता हूँ...

    नीरज

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  19. बहुत सुन्दर गज़ल पढ़वाई..

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  20. बढ़िया गज़ल!
    --
    गजलगो प्राण शर्मा जी तो उस्ताद शायर हैं!

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  21. निर्मला जी नमस्कार, लिजिये हमारी हाजरी पहले लगा ले, फ़िर शिकायत ना करे कि आते नही, आप की गजल बहुत अच्छी लगी सभी डॆर भी बहुत अच्छे लगे, आप का ओर प्राण साहब का धन्यवाद

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  22. बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल है यह प्राण साहब की। यह शेर तो मन में उतर गया-
    दिन में चाहे बंद कर लो खिड़कियां, दरवाजे तुम
    कुछ न कुछ तो रहती ही है सारे घर में रोशनी…

    और भी कई शेर हैं जो मन पर अपना असर छोड़ते हैं।

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  23. गर कहीं मिल जाए तुमको, मुझसे मिलवाना जरूर,
    एक मुद्दत से नहीं देखी है मैंने सादगी !
    लाजवाब!!!!! बेहतरीन ग़ज़ल है. निर्मला जी प्राण साहब की गजल पढवाने का शुक्रिया.

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  24. लाजवाब ! लाजवाब !! बहुत बहुत शुक्रिया ये ख़ूबसूरत ग़ज़ल पढवाने का ...

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  25. प्राण साहब की ग़ज़ल तो लाज़वाब है । इस प्रस्तुति के लिए आभार ।

    ब्लोगिंग से भी मोटापा बढ़ता है--ऐसा नहीं है । निष्क्रियता से बढ़ता है ।
    आप ब्लोगिंग करते रहिये लेकिन सुबह शाम सैर को भी जाया करिए ।

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  26. निर्मला जी,
    प्राण साहब की ग़ज़लों के क्या कहने...और कुछ कहने का साहस तो हमरे अंदर बिलकुल नहीं...
    एक सुखद अनुभव!!

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  27. प्राण साहब की गज़लें ..तो कयामत बरपाती हैं सच में

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  28. डा सुभाष रायSeptember 24, 2010 at 12:29 AM

    प्राण जी, गजल तो अच्छी है, पर उससे भी अच्छी बात है मनुष्य होने के नाते मनुष्यता पर आसन्न संकट को लेकर आप की चिंता. सब कुछ मिल जाता है पर दिया लेकर ढूंढने से भी आदमी नहीं मिलता. यह आज के समाज की केन्द्रीय चिंता है. इस गजल में आरम्भ से अंत तक यह चिंता दिखायी पड़्ती है.

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  29. Pran ji
    aapki ghazal aaj ke zamaane ki jeeti jagti tasveer hai..kuch musalsal si.
    jis tarah aapne kafion ka sadupayog kiya hai yeh fan aapko khoob nibhana aata hai..ek tazgi se bharpoor, man ko chooti ghazal ke liye badhayi

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  30. लाजवाब। सारे ही शेर एक से बढ़कर एक।

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  31. सारे शेर बहुत उम्दा है। मै प्राण जी को पहले भी कई बार पढ़ चुकी हूँ तारीफ़ के लिये शब्द भी कम पड़ जाते हैं। आपका धन्यवाद निर्मला जी।

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  32. बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
    मशीन अनुवाद का विस्तार!, “राजभाषा हिन्दी” पर रेखा श्रीवास्तव की प्रस्तुति, पधारें

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  33. जिंदगी को करीब से दिखाती हुई गजल।

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  34. इतनी सुंदर भावपूर्ण ग़ज़ल देर से पढ़ पाया....

    वाह ...हर शेर बेजोड़..बेहतरीन ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई...
    सामयिक बात रखती हुई ग़ज़ल दिल छू कर निकलती है....प्रणाम माता जी

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  35. एक मुद्दत से नहीं देखी है मैंने सादगी.....
    वाह !कितनी सुन्दर और खरी बात !

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  36. बेहतरीन ग़ज़ल...बधाई.
    ______________
    'शब्द-शिखर'- 21 वीं सदी की बेटी.

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  37. गर कहीं मिल जाए तुमको, मुझसे मिलवाना जरूर ,
    एक मुद्दत से नहीं देखी है मैंने सादगी !
    ......kitni saadgi se aapne kitnee aachi-achhi baaten bata dee... bahut hi achhi lagi...aabhar

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  38. प्राण जी की गज़लों के तो हम मुरीद हैं ।

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  39. बहुत उम्दा गजल ।
    बात मन की क्या सुनाई जान कर अपना उसे,
    बात जैसे पर लगा कर हर तरफ उडने लगी ।

    इसी अर्थ का पहले एक दोहा पढा था

    ऐसा कोऊ ना मिला जासु कहूँ निसंक
    जा से भी मन की कहूँ सोऊ मारे डंख ।

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  40. ग़ज़ल जो 'प्राण' की होगी, भरी होगी वो प्राणों से।
    गर कहीं मिल जाये तुमको....
    मुझे भी इंतज़ार है।

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  41. ग़ज़ल जो 'प्राण' की होगी, भरी होगी वो प्राणों से।
    गर कहीं मिल जाये तुमको....
    मुझे भी इंतज़ार है।

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आपकी प्रतिक्रिया ही मेरी प्रेरणा है।