16 June, 2010

karzdar

जब तक नया कुछ लिख नही पाती तब तक अपनी पुस्तक मे से कहानियां  ही पोस्ट कर रही हूँ। ये कहानी मेरी पुस्तक  वीर्बहुटी मे से है और दैनिक जागरण समाचार पत्र मे भी छप चुकी है।

कर्ज़दार--कहानी

"माँ मैने तुम्हारे साम्राज्य पर किसी का भी अधिकार नही होने दिया इस तरह से शायद मैने दूध का कर्ज़ चुका दिया है"---- प्रभात ने नम आँखों से माँ की तरफ देखा और जा कर  पुलिस वैन मे बैठ गया।
अभी वो दुनिया को पहचान भी नही पाया था कि उसके पिता एक दुर्घटना मे मारे गये। माँ पर तो जैसे दुखों का पहाड टूट पडा। घर मे कोई कमाने वाला नही था मगर उसके मामा की कोशिशों से उसकी माँ को पिता की जगह दर्जा चार की नौकरी मिल गयी। प्रभाट का एक भाई और एक बहन थे। प्रभात सब से बडा था। उसकी माँ ने इतनी कम तनख्वाह मे भी तीनो भाई बहनों को उच्च शिक्षा दिलवाई। प्रभात को वकालत छोटे को इन्जनीयर और बेटी को बी एड करवाई। छोटा तो पढाई के बाद विदेश चला गया आगे पढने के लिये बहन ससुराल चली गयी। उसके बाद प्रभात की शादी मीरा से बडी धूम धाम से कर दी।
 मीरा एक पढी लिखी सुन्दर और सुशील लडकी थी। उसने आते ही घर का सारा काम सम्भाल लिया मगर घर की व्यवस्था बाजार का काम लेन देन आदि सब माँ ही देखती थी आज घर मे कौन सी सब्जी बनेगी क्या चीज़ आयेगी आदि सब  माँ के हुक्म से चलता था। वो अब रिटायर भी हो चुकी थी और जब शादी के बाद बीमार हुयी तब से कुछ कमजोर भी हो गयी थी। बाजार आते जाते ही थक जाती थी। घर का काम तो बहु के आते ही छोड दिया था। शायद ये सास का जन्म सिद्ध अधिकार होता है कि काम ना करे मगर घर मे हुक्म उसी का चले।
प्रभात ने सोचा कि माँ को घर चलाते हुये सारी उम्र बीत गयी अब उन्हें इस भार से मुक्ति मिलनी चाहिये। फिर उनकी सेहत भी ठीक नही रहती। उसने अकेले मे मीरा से बात की
"मीरा बेचारी माँ अकेले मे घर का बोझ ढोते थक गयी है। अब तुम आ गयी हो तो उन्हें आराम देना चाहिये।घर का काम तो तुम ने सम्भाल लिया है बाज़ार का काम हम दोनो मिल कर कर लिया करेंगे। आखिर ये घर अब तुम्हारा ही है।"
मीरा सुशील लडकी थी। उसने हाँ मे हाँ मिलाई तो प्रभात खुश हो गया।
अगले दिन वो शाम को दफ्तर से आ कर माँ के पास बैठ गया--
"माँ अपने बडे कष्ट झेल लिये अब तुम्हारी बहु आ गयी है,अब घर का सारा भार ये सम्भालेगी मै अपनी तन्ख्वाह इसे दे देता हूँ। बाजार का काम भी ये देख लेगी। आपको जो कुछ भी चाहिये बैठे बैठे हुक्म करें हाजिर हो जायेगा।अब आपके आराम के दिन हैं।"और उसने अपनी तन्ख्वाह मीरा के हाथ पर रख दी। प्रभात ने सोचा कि माँ खुश हो जायेगी कि उसके बहु बेटे उसका कितना ध्यान रखते हैं।------- क्रमश:

33 comments:

  1. आगे इन्तजार करते हैं..बांध रही है कहानी.

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  2. अगली कड़ी का इन्तजार रहेगा.

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  3. पहली किस्त से ही कहानी के मर्म का पता चलता है..माँ,बेटा और बहू के आपसी रिश्ते पा आधारित एक बढ़िया कहानी जो धीरे धीरे मोड़ लेती हू...इंतजार है माता जी कर्ज़दार के अगली कड़ी का...प्रणाम

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  4. माँ तो परेशान हो गई होगी । आश्रित होने का बोध होने लगा होगा । खैर देखते हैं ।

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  5. ab to poori kahani padne ko aatur hain hum sab

    http://sanjaykuamr.blogspot.com/

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  6. अगली कड़ी का इंतज़ार रहेगा .........

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  7. कपिला जी। शुक्रिया होंसलाअफजाई के लिए। फिलहाल यही कहने आया हूं। कहानी पढ़कर प्रतिक्रिया देने दुबारा आऊंगा।

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  8. bahut sundar kahani...aage kaa intejaar rehega...

    krantidut.blogspot.com

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  9. अगली कड़ी का इतजार.. आप को पढ़ते हुए नग रहा है जैसे लेखिका शिवानी जैसी मन स्थित की लेखिका को पढ़ रही हूँ ,शिवानी जी का लगभग सारा साहित्य ऐसे ही घरेलू चिंताएँ है । सच आप अच्छा लिखती हैं।

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  10. आईये जानें ..... मैं कौन हूं !

    आचार्य जी

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  11. कहानी शुरुआत में ही टर्न लेने लगी है ... दिलचस्प ... अगली कड़ी की प्रतीक्षा रहेगी ...

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  12. धारा प्रवाह रोचकता बनी हुई आगे ?

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  13. रोचक लग रही है…………अगली कडी का इन्तज़ार है।

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  14. अच्छी लग रही है कहानी ..आगे का इंतज़ार है.

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  15. रोचक ...अगली कड़ी का इन्तजार ...!!

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  16. रोचक प्रस्तुति करण....कोई भी स्त्री अधिकार कहाँ छोड़ पाती है...ऐसी स्थिति में सब कुछ हाथ से फिसलने सा लगता है ...अब आपकी कहानी क्या कहती है ? इसका इंतज़ार है

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  17. बहुत ही रोचक कहानी..गज़ब का प्रवाह है...अगली कड़ी का इंतज़ार.

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  18. रोचक कथा और प्रवाह...अगले भाग की प्रतीक्षा रहेगी.

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  19. Maikya ji, Nirmala Ma!
    Pairi pauna!
    Kahaanee di agli kadi de vaaste ankhiyaan udeeke baithe han asi!!!
    Ashish:)

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  20. दिलचस्प लग रही है. अगली कड़ी की प्रतीक्षा रहेगी.

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  21. 'और उसने अपनी तन्ख्वाह मीरा के हाथ पर रख दी। प्रभात ने सोचा कि माँ खुश हो जायेगी कि उसके बहु बेटे उसका कितना ध्यान रखते हैं।'

    - लगता है इससे माँ खुश नहीं हुई होगी.उसे लगा होगा लड़का अब बहू का गुलाम हो गया. वास्तविकता तो अगली कड़ी बयान करेगी.

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  22. बहुत कम रस मिला ,संक्षिप्त है न इसलिये

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  23. कथा का आगाज बहुत बढ़िया है!
    अगली किश्त का इन्तजार है!

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  24. अगली कड़ी का इंतज़ार।

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  25. मुझे भी अगली कड़ी का इन्तेज़ार है मासी.. हमेशा की तरह सुन्दर कहानी आपकी सुनहरी कलम से..

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  26. बहुत अच्छी लगी यह कहानी...अब आगे का इंतज़ार है....

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  27. बहुत सुन्दर कल्पना संसार रच रही है कहानी ! अगली कड़ी की प्रतीक्षा है ! बहुत इंतज़ार मत करवाइयेगा !

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  28. आगे-आगे देखिए होता है क्‍या? निर्मलाजी कैसी हैं? तबियत ठीक हुई या नहीं?

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  29. रोचकता बनी हुई है..बस अगली कडी शीघ्र पोस्ट कर दीजिए..वर्ना पहले पढे गए अंश दिमाग से निकल जाते हैं..

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  30. कहानी अच्छी लग रही है ...छोटा सा भाग ही है यह..अगले भाग का इंतज़ार रहेगा.

    -आप का ब्लॉग टेम्पलेट बहुत ही आकर्षक है.

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