इधर उधर की
सोचा था अमेरिका जा कर रोज़ पोस्ट लिखा करूँगी, रोज़नामचे की तरह मगर कुछ दिन तो जेट लैग की वजह से नही लिख पाई फिर एक दो दिन घूमने चले गये और अब फ्लू ने घेर लिया। यहाँ फ्लू इतना भयानक फैला हुया है कि एक बार पकड ले तो छोडने का नाम नही लेता ।भारत की बहुत याद आ रही है। मेरे पतिदेव का तो बिलकुल मन नही लग रहा। कहाँ तो सारा दिन इतने लोगों से मिलना जुलना और कितनी जगह आना जाना कहाँ अब दिन भर कमरे मे बन्द रहना । शाम को चाहे रोज़ घूमने जाते हैं मगर ठंड इतनी पड रही है , बारिश दो दिन से लगातार हो रही है सैर करने भी अधिक देर नही जाया जाता। घर मे हीटर लगा कर बैठे हैं। नातिन स्कूल गयी है बेटी की डाक्टर के पास एपोईँटमेन्ट थी वो लोग भी गये है, तो सोचा 10 मिन आपलोगों से बात कर लूँ।सामने खिडकी मे से बहुत सुन्दर नज़ारा दिख रहा है, बहुत सुन्दर गार्डन पीछे पहाड सब कुछ उजला सा , सोचा शायद कोई कविता लिख पाऊँ मगर दिमाग मे एक शब्द भी नही आ रहा, पता नही क्यों लगता है कि कहीं कुछ मिस्सिन्ग है शायद हवा मे अपने देश की मिट्टी की खुश्बू नही है वो एहसास नही हैं, कुछ तो है जो कुछ भी लिख नही पा रही। नींद नही आती अपना बिस्तर और घर याद आता है। शायद उस बिस्तर की सलवटों मे कुछ लोरियाँ कुछ एहसास हैं जो मीठी नींद ले आते हैं। बेशक यहाँ बहुत कुछ अपने देश से अच्छा भी है मगर अपने देश जैसा प्यार और मेल जोल नही है। इस मैंशन मे भारत्तीय लोगों ने आपस मे बहुत अच्छे सम्बन्ध बना रखे हैं, मुश्किल मे एक दूसरे का साथ भी देते हैं। कितने दिन से मेरी बेटी बहुत बिमार थी तो उसकी सहेलियाँ ही बारी बारी से खाना बना कर भेजती रही और उसे पूछती रही। हम लोग आये तो मिलने भी आयी। और हमे अपने घर भी बुलाया है। छुट्टी के दिन जायेंगे।एक दिन सैनफ्राँसिसको घूमने गये तो पतिदेव की तबीयत खराब हो गयी । सफर मे मन खराब होने लगता है।इस हफ्ते लास एन्जलेस् जाने का विचार था मगर कपिला साहिब मान नही रहे। देखते हैं अगर सब की तबीयत ठीक हुयी तो जायेंगे। सैन्फ्रांम्सिसको के भ्रमण का हाल फिर लिखूँगी। ये पोस्ट इस लिये लिख रही हूँ कि कहीँ आपलोग मुझे भूल ही न जायें।
सोचा था अमेरिका जा कर रोज़ पोस्ट लिखा करूँगी, रोज़नामचे की तरह मगर कुछ दिन तो जेट लैग की वजह से नही लिख पाई फिर एक दो दिन घूमने चले गये और अब फ्लू ने घेर लिया। यहाँ फ्लू इतना भयानक फैला हुया है कि एक बार पकड ले तो छोडने का नाम नही लेता ।भारत की बहुत याद आ रही है। मेरे पतिदेव का तो बिलकुल मन नही लग रहा। कहाँ तो सारा दिन इतने लोगों से मिलना जुलना और कितनी जगह आना जाना कहाँ अब दिन भर कमरे मे बन्द रहना । शाम को चाहे रोज़ घूमने जाते हैं मगर ठंड इतनी पड रही है , बारिश दो दिन से लगातार हो रही है सैर करने भी अधिक देर नही जाया जाता। घर मे हीटर लगा कर बैठे हैं। नातिन स्कूल गयी है बेटी की डाक्टर के पास एपोईँटमेन्ट थी वो लोग भी गये है, तो सोचा 10 मिन आपलोगों से बात कर लूँ।सामने खिडकी मे से बहुत सुन्दर नज़ारा दिख रहा है, बहुत सुन्दर गार्डन पीछे पहाड सब कुछ उजला सा , सोचा शायद कोई कविता लिख पाऊँ मगर दिमाग मे एक शब्द भी नही आ रहा, पता नही क्यों लगता है कि कहीं कुछ मिस्सिन्ग है शायद हवा मे अपने देश की मिट्टी की खुश्बू नही है वो एहसास नही हैं, कुछ तो है जो कुछ भी लिख नही पा रही। नींद नही आती अपना बिस्तर और घर याद आता है। शायद उस बिस्तर की सलवटों मे कुछ लोरियाँ कुछ एहसास हैं जो मीठी नींद ले आते हैं। बेशक यहाँ बहुत कुछ अपने देश से अच्छा भी है मगर अपने देश जैसा प्यार और मेल जोल नही है। इस मैंशन मे भारत्तीय लोगों ने आपस मे बहुत अच्छे सम्बन्ध बना रखे हैं, मुश्किल मे एक दूसरे का साथ भी देते हैं। कितने दिन से मेरी बेटी बहुत बिमार थी तो उसकी सहेलियाँ ही बारी बारी से खाना बना कर भेजती रही और उसे पूछती रही। हम लोग आये तो मिलने भी आयी। और हमे अपने घर भी बुलाया है। छुट्टी के दिन जायेंगे।एक दिन सैनफ्राँसिसको घूमने गये तो पतिदेव की तबीयत खराब हो गयी । सफर मे मन खराब होने लगता है।इस हफ्ते लास एन्जलेस् जाने का विचार था मगर कपिला साहिब मान नही रहे। देखते हैं अगर सब की तबीयत ठीक हुयी तो जायेंगे। सैन्फ्रांम्सिसको के भ्रमण का हाल फिर लिखूँगी। ये पोस्ट इस लिये लिख रही हूँ कि कहीँ आपलोग मुझे भूल ही न जायें।
स्वागत है - अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखिये.
ReplyDeleteदीदी स्वास्थ्य का ध्यान रखिएगा।
ReplyDeleteआपका पोस्ट और मनोदशा पढकर बस पहली प्रतिक्रिया मन में आई -- सारे जहान से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा।
अजी, आपको कैसे भूलेंगे. वैसे नींद न आना और देश को मिस करना.......यहाँ तो इसीलिए जागते १० बरस गुजर गये!!
ReplyDeleteNirmalajee mai jab bhee jatee hoo vaha library ka poora istemal karatee hoo.Large print section me bhee hazaro books hotee hai.padne me ise umr me aasanee hotee hai.aap bhee try kariyega.......
ReplyDeletebooks bahut accha sath nibhatee hai.............
school to kuch ghanto ka hee hoga ?
apana dhyan rakhiyega........
happy stay............
अरे निर्मला बहिन जी आप तो अमेरिका में है!
ReplyDeleteकई दिनों से आपकी पोस्ट नहीं आई तो हमने सोचा कि माजरा क्या है?
भारत और अमेरिका के मौसम में काफी अन्तर होता है! आप अपना ख्याल रखें!
होता है, जब घर छूटता है तो यह सब होता है। शीघ्र स्वस्थ हो कर अमेरिका घूमिए और लिखिए, जिस से हम भी आप के साथ साथ घूम सकें।
ReplyDeletethik hai.nice
ReplyDeleteकौन मुआँ आप को भूल सकता है ! देखिए न Mr. nice तक ने तीन शब्दों में टिप्पणी की है - ठीक है जोड़ कर।
ReplyDeleteआनन्द लीजिए - अपनापन से पराई मिट्टी भी आँगन के गमले जैसी हो जाती है। कोशिश कीजिए।
माता जी, आप बस मन लगा कर बढ़िया से अपनी बेटी और नातीन के साथ अमेरिका के शहरों की शैर कीजिए और अपने और बाबू जी के स्वास्थ का ध्यान दीजिए..रही बात कविता की वो हम आपके भारत आने के बाद पढ़ लेंगे वैसे ये भी सच है की आपकी ग़ज़ल और कहानियों की बड़ी याद आ रही है...पर आप अपना ख्याल कीजिए...और हम सब आपको भूल जाए ऐसी बात हो ही नही सकती...प्रणाम माता जी
ReplyDeleteकई दिनों से हिंदी ब्लॉग जगत में आपके पोस्ट की कमी महसूस हो रही थी .. भारत की याद तो आएगी ही .. पर कुछ दिन सैर सपाटे का आनंद लीजिए .. और हमें भी अपने अनुभवों से अवगत कराते रहिए !!
ReplyDeleteआपको और आपकी प्रोत्साहित करती टिप्पणियों को हम भी बहुत मिस कर रहे हैं ! आप बिलकुल सच कह रही हैं तमाम सुख सुविधाओं के होने के बाद भी यू एस में अनिद्रा से दामन नहीं छूट पाता ! सैनाफ़्रान्सिसको बहुत ख़ूबसूरत शहर है ! विशेष रूप से उसकी क्रूकेड स्ट्रीट मेरी बेहद पसंदीदा जगह है ! आपकी यात्रा सुखद और आनंदवर्धक हो यही कामना है ! खूब एनजॉय कीजिये !
ReplyDeleteआपको देख कर हम सबकी बाछें खिल गयी..आप जल्दी से ठीक हो जाइए...
ReplyDeleteसब आपका इंतज़ार कर रहे थे...
बहुत अच्छा लगा आपको देख कर..!
निर्मलाजी, चलिए आपके ब्लाग पर आपके दर्शन तो हुए। अब यह बताइए कि आप किस जगह हैं? मैं भी मई में सेनोजे आ रही हूँ।
ReplyDeleteआप कहीं भी रहें, आपको भूलना मुश्किल है, आप के साथ सभी जल्दी से स्वस्थ्य हो जाएं, और घूमने का आनन्द लें, इन्हीं शुभकामनाओं के साथ ।
ReplyDeleteजगह बदलने से वो भी इतनी दूर जाने से थोड़ा तो असर होता है .
ReplyDeleteआपकी यात्रा सफल हो यही कामना है
बिल्कुल नहीं भूल सकते जी आपको
ReplyDeleteआप जल्द से जल्द स्वस्थ हों और खूब घूमें, मजा लें और हमें भी वहां की बातें बतायें और तस्वीरें दिखायें।
अपने देश की याद में पूरी नींद लिये बगैर समीरजी को दस बरस हो गये हैं और आप कुछ दिन से घबरा गये :-)
आप सब स्वस्थ और आनन्दित रहें।
हार्दिक शुभकामनायें
ऐसे कैसे भूल जायेंगे
ReplyDeleteआपको देख कर हम सबकी बाछें खिल गयी..आप जल्दी से ठीक हो जाइए...
ReplyDeletebahut khoob mummy ji...
ReplyDeleteplz visit
ReplyDeletehttp://yuvatimes.blogspot.com/2010/03/blog-post_30.html
its me........
are aapko kaise bhool sakte hain..........bas aap thik rahiye aur jaldi se khushkhabri dijiye.
ReplyDeleteनिर्मला जी , ठण्ड कितनी भी क्यों न हो । अभी तो इसी का मज़ा लीजिये । फिर तो यहाँ की गर्मी का सामना करना ही है। वैसे कुछ दिनों के लिए बदलाव अच्छा लगता है । शुभकामनायें।
ReplyDeleteकैसी बातें कर रही हैं,निर्मला दी....आपको भला हमलोग कभी भूल सकते हैं ..बस इंतज़ार में थे आपके यात्रा वृत्तांत का. आपकी तबियत ठीक नहीं इसलिए, मन नहीं लग रहा...अरे जम कर घूमिये और हमें आँखों देखा हाल लिख भेजिए,हर जगह का चित्रों के साथ
ReplyDeleteतभी हम सोच रहे थे कि कईं दिनों से न तो निर्मला जी कोई पोस्ट ही लिख रही हैं ओर न ही कहीं उनकी टिप्पणी दिखी...चलिए अच्छी बात है, थोडा बहुत घूमना फिरना भी तो होना चाहिए...बस अपने स्वास्थय का ख्याल रखिए।
ReplyDeleteसब से पहले तो अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखिये!! गर्म ओर मोटे मोजे(जुराबे ) जरुर पहने, गर्म कपडे, खुब चाय पीये, एसप्रीन जरुर ले, यह फ़लू सात दिन बाद ठीक तो हो जाता है लेकिन एक बार ड्रां से चेक जरुर करवाये, मेरे पिता जी का भी दिल यहां नही लगा था, बाद मै बडा बेटा जो उस समय एक साल का था पिता जी का दोस्त बन गया था, ओर वो अपनी सारी बात पिता जी को समझा देता ओर पिता जी की सारी बार उसे बता होती थी, कुछ ही दिनो मै मोसम अच्छा हो जायेगा, बेटी का अब क्या हाल है, आप सब जल्द ही अच्छॆ हो जाये गे फ़िकर ना करे,
ReplyDeleteब्लॉगजगत बहुत सुना सुना सा लग रहा था आपके बिन ......और आपको भूल जाने का तो सवाल ही नहीं उठता .
ReplyDeleteस्वास्थ्य लाभ कर पुनः साहित्य सेवा में जुटें ।
ReplyDeleteआपकी पोस्ट का तो सदा इन्तजार है.
ReplyDeleteaapki kitni baate sachchi rahi ,hame bhi doosre ke ghar me neend nahi aati ,apna ghar swarg se kam nahi hota ,apna khyaal rakkhe ,aap to hamare parivaar ki sadsaya hai bhala kaise bhool sakte hai ,hum to raah take baithe hai .
ReplyDeleteये भी खूब रही अजी आपको कैसे भूल जायेंगे
ReplyDeleteपोस्ट पढ़ कर याद आया ५ दिन घर से बाहर रहे ठगे तो क्या हाल हुआ था
मन तड़प तड़प जता था घर वापस जाने को :(
हम तो यहाँ इलाहाबाद में कूलर के सामने बैठे है कूल कूल होने की कोशिश कर रहे है,, बड़ी गर्मी है
ऐसे कैसे भूल जायेंगे..
ReplyDeleteआपने स्वास्थ्य का ख्याल रखें ... दिल की उदासी दूर करें ... आपके पास तो समेटने को बहुत कुछ है वहाँ .. समेत कर सबसे बाँटें ... आपकी पोस्ट की प्रतीक्षा रहेगी ...
ReplyDeleteham sab ki shubh-kaamnaye aapke sath hai..ham aapko bilkul nahi bhule he..jb b apki yad aati he dil ko tasalli de lete he ki aap amrika-bhraman par hai..khush rahiye..enjoy kijiye..man udas mat kijiye...aur ek baat yaad rakhiye...jindgi vo picture hai jiska ek bhi seen nikal gaya to dubara nahi dekh sakte...isliye har aate lamhe ko enjoy kijiye..take care.bye.
ReplyDeleteआप बस अपनी तबियत ठीक रखें और दूसरे मुल्क के तौर-तरीकों का आनन्द लें.........."
ReplyDeleteवाह कैसी बात कर दी आपने, जिस देश में हैं उसकी ही जैसी बात करने लगीं. ये भारत है यहाँ हम इतनी आसानी से किसी को नहीं भूलते
ReplyDeleteफिर चाहें दुश्मन ही क्यों न हो और आपका तो और आप तो माँ हैं. हा ...हा .... हा ....कुछ हंसी आई चेहरे पर क्या ?????????
देखिये कोई नहीं भुला आपको :) जब तक मैं यहाँ आई सब आपको जल्दी से स्वस्थ होने के लिए कह गए हैं :) स्वस्थ रहिये और खूब धूमिये
ReplyDeleteअरे ...ऐसे कैसे भूल जायेंगे...
ReplyDeleteवो तो आपने बताया तब पता चला की आप भारत में नहीं,नहीं तो ब्लॉग में आप भारत से लिखकर पोस्ट कर रही हैं या सात समुद्र पार से कहाँ फर्क पड़ने देता है यह कुछ भी....
सही कहा आपने,अपना देश तो बस अपना ही होता है,भले लाख बुराइयां हों...
बहुत धन्यवाद कि आपने लिंक भेजा .अमेरिका में सभी को ऐसा ही लगता है .मैं जब पहली बार अमेरिका गया तब न्यूयार्क के मैनहटन को देखकर मैंने एक गीत लिखा था .
ReplyDeleteअमेरिका में आकर अपनी
हो गयी ऐसी =तैसी
बिल्डिंगे लडकियों जैसी हैं
लडकियाँ बिल्डिंगों जैसी
Maa ji apne saath-saath sabka khyal rakhana ji.. Amerika kabhi jaana to nahi hua lekin aapke lekh se ek kahawat yaad aai"jo sukh chhaju ki chaubare wo balakh na baghare........
ReplyDeleteBahut shubhkamnayne
बहुत दुख हुआ सुन कर कि आपका स्वास्थ्य ठीक नही है । जल्दी ठीक हो जाइये । हम लोग भी आज ही चल देंगे अमेरिका के लिये हम एटलांटा से फिर एन्डरसन (साउथ केरोलीना ) जायेंगे । इधर कई दिनों से मैं भी ब्लॉग पर नही आ पा रही हूं न लिखने ना ही पढने पर अब अमेरिका जाकर शायद ज्यादा वक्त मिले । पिछले 2-3 हफ्ते तो तैयारी में ही बीत गये और अब थकान ने घेरा है । आशा करती हूं आप की बेटी और कपिला साहब अब स्वस्थ होंगे ।
ReplyDeleteवाह ....निर्मला जी मुझे सब जगह आपकी टिप्पणियाँ नदारद मिली तो देखने चली आई .....आप तो दूर दुनिया पहुँच गयी .....!!
ReplyDeletebesabri se apni va sabaki posto par aapke aane ka intajar hai.aapsabhi purntah swasth ho kar jaldi hi wapas aayen inhi shubhkamnaon ke saath.
ReplyDeletepoonam
aapki baaten achchi lagi.
ReplyDeletehum aapko nahi bhoole ..par aapki anupastithi yahan tak le aayi phir :)
ReplyDeleteआपकी पोस्ट का तो सदा इन्तजार है.
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