काश्! कि ये मेरी कहानी होती
समीर जी की पोस्ट पढी तो घबरा गयी कि कहीं हमारी पोस्ट भी पहेली तो नहीं बन गयी बस फटा फट खुद ही जवाब देने चले आये 1कहीं समीर जी को भनक लग गयी तो कहीं अपनी पोस्ट ही ना हटानी पड जाये1 कल किसी ने मेरी पिछली पोस्ट् (एक हवा का झोंका( पर् एक सवाल पूछा था कि ये कहानी मेरी कहानी तो नहीं!पढ कर अच्छा लगा पता नहीं क्यों1मगर वो शायद इस कहानी की नायिका को भूल गये कि उसने तो शादी ही नहीं की 1 मेरा भगवन की दया से एक हँसता खेलता परिवार है मेरे पती-तीन बेटियां तीन दामाद दो नाती और एक नातिन1 मेरे मन मे तब एक ख्याल आया कि क्या हर अभिव्यक्ति लेखक की अपनी ज़िन्दगी की होती है 1ागर ऐसा है तो वो इतनी रचनायें लिखता है हर रँग कि हर विषय पर वो केसे लिख लेता है !
मैं किसी की बात नहीं करूँगी अपनी बात पर आती हूँ मेरी अधिकतर रचनायें औरत पर हैं उसकी ज़िन्दगी के हर सुख दुख हर संवेदना पर है क्या मै इतने जीवन एक जनम मे जी सकती हूँ1 मेरे दो कहानी संग्रह छप चुके हैं उनमे तकरीबन् पचास कहानियाँ होंगी तो क्या मेरी हैं1 नहीं न ! लेखक वो लिखता है जो समाज मे रोज़ देखता है1 उसे वो किस नज़र से देखता है वो उसकी अभिव्यक्ति है उसकी अपनी संवेदना है1 कई बार वो जो देखता है उसे उसका रूप सही नहीं लगता उसे वो अपने नज़रिये से एक रूप देता है कि इस भाव को वो कैसे देखना चाहता है बस अपनी रचना मे वो उस भाव की छाप छोडना चाहता है1 उसका लिखना भी तभी सार्थक है अगर उसकी रचना समाज को कोई संदेश देती हो1 जीने का ढंग सिखाती हो1 यूँ तो लेखक कई रचनायें लिखता है लेकिन कालजयी वही रचनायें होती हैंजिनमे वो जीने के मायने देता है1 हम रोज़ देखते हैं कि लोग प्यार पर कितना कुछ लिखते हैं जिसमे काफी तो रोना धोना ही रहता है जो शायद मेरी भी बह्त सी रचनायों मे है वो हर आदमी की कहानी है1 मगर कुछ किरदार आम जीवन से हट कर होते हैं मै बस उन किरदारों की कलपना करती हूँ----दुनियाँ से हट् कर कुछ देखती हूँ समझती हूँ और चाहती हूँ कि समाज ऐसा ही हो मेरे सपनों जेसा !
मैने ऐसे लोग देखे हैं जो भ्रश्टाचार पर डट कर लिखते हैं मगर खुद पैसे के लिये कुछ भी करते हैं1 कुछ लोग जात् पात पर डट कर लिखते हैं जब अपनी बेटी प्रेमविवह दूसरी जाति मे करना चाहती है तो घोर विरोध करते हैं कुछ ऐसे लोग जो प्यार पर लिखते हैं मगर जीवन मे पता नहीं कितने साथी बनाते हैं ऐसे लोग जो मा पर बडी बडी कवितायें लिखते हैं मगर मा को अनाथ आश्रम मे छोड् आते है1प्यार पर बहुत लोग लिखते हैं1 मगर क्या सभी प्यार के सही मायने को जीते हैं1 जीते ना सही हों मगर क्या प्यार के रूप को सही जानते हैं1 मेरा मनना है कि नहीं1ा दिन पर दिन प्यार के मायने बदल रहे हैं1 तो मुझे लगता है कि इन बदलते हुये मूल्यों को आगे बदलने से रोकना चाहिये1 जब ये विचार आया तो ऐसी रचना रच पाना आसान हो गया !
हाँ बहुत सी रचनायं लेखक की अपनी ज़िन्दगी से जुडी हो सकती हैं मगर हर रचना नहीं मेरी कुछ कहानियां ऐसी हैं जिन्हें लिखते हुये मै कई कई दिन रोती रही हूँ1रचना लिखते हुये उसके किरदार को खुद अपनीआस्था और सोच के अनुरूप अपनी कलपनाओं मे जीना पडता है1पाठ्कों के रहन सहन और आज के परिवेश का भी ध्यान रखना पडता है1 इस लिये मैने इसमे ब्लोग्गिं का जिक्र किया है1 प्रश्न करता को तभी पता चल सकता है अगर वो लेखक् को व्यक्तिगत रूप से जानता है1 या फिर कहानी विधा को जानता है1 1इस रचना के लिये मै इतना कह सकती हूँ काश! कि मुझे ये किरदार जीने का अवसर मिल पाता और मै शान से कह सकती कि हाँ ये मेरी कहानी है !