23 January, 2009

जिन्दगी कतरा कतरा
दूर जाना चाहती हूँ
तुम्हारे मोहपाश से
जब भौ करती हूँ प्रयास
आता है एक हवा का झोंका
तुम्हारे जिस्म को छू कर
लिपट जाता है मेरे तन से
और खीँच लाता है मुझे
तुम्हारे और करीब
जब कभी इन दिवारों मे
घुट्ने लगता है दम
मेरी अपनी साँसें
बार बार टकराती हैं मुझसे
ऊब जाती हूँ जीवन से
तभी आता है हवा का एक झोंका
तुम्हारी साँसों की खुश्बू लिये
महक जाता है तन मन
और आ जाती हूँ
तुम्हारे और करीब
कभी जीवन का बोझ
कर देता है उदास्
दिखने लगती है आँखों मे
टूटे सपनों की परछाईयाँ
फिर आता है एक हवा का झोंका
तुम से बिछुड जाने का दर्द समेटे
और कर जाता है आँखों को नम्
बहने लगता है मेरे सामने
मेरी मजबूरियों का दरिया
इन लहरों की छिटकन में
बह रही है
जिन्दगी कतरा कतरा


21 January, 2009


थोडी सी मुस्कान चाहिये
चंद साँसें आसान चाहिये
नहीं और् कोइ भी चाहत
बस रोटी वस्त्र् मकान चाहिये
बन सकता है देश स्वर्ग
शासकों मे ईमान चाहिये
नेताओं की इस् भीड् मे
कोई तो इन्सान चाहिय
जो दे गरीब को रोटी
शासक वो भगवान चाहिये
हर ओर खुशी का आलम हो
हर घर में धन धान चाहिये
विश्व गुरु कहलाये भारत
और नहीं वरदान चाहिये
जिसे सोने की चिडिया कहते थे
फिर वैसा हिन्दोस्तान चाहिये !!

20 January, 2009

(व्यंग)

इक दिन आधी रात को
जब लोग सो रहे थे
तो हमारे पडोसी रो रहे थे
हमारी पडोसन ने हमे आ जगाया था
हमने समाज सेवा का बीडा जो उठाया था
जाके देखा उनका बच्चा दर्द से रो रहा था
पती चद्दर तान के सो रहा था
हमे तरस आयासे
बच्चे को उठा अस्पताल पहुँचाया
बच्चा ठीक हुआ तो सब को चैन आया
सहेली ने पती को उठाते हुऎ
हमारी सेवा का ऎहसास कराया
ये सुन पति उबासी लेते हुये बोले
"माफ करना बहिनजी
आपको तकलीफ हुई कष्ट उठाना पडा
हमने पिछले जनम आपकी जो सेव की थी
उसका बदला इस तरह आधी रात को चुकाना पडा
तब पता चलाकि हम समाज सेवा से
लोगोंका कुछ नहीं संवर रहे हैं
हम तो बस पिछले जनम के
कर्ज ही उतार रहे हैं

19 January, 2009



जब उनके जीने का हम मकसद हुआ करते थे
हर खुशी के मेरे दर पे दस्तक हुआ करते थे
लोग देते थे मिसाल हमारी दोस्ती की अक्सर
हमारी दोस्ती लोगों के सबक हुआ करते थे
पीने का कोइ ना कोइ सबब आ ही जाता था
जब सीधे मयखानेमे हमकदम हुआ करते थे
कितनी सहज हो जाती थी राहें अपनी
उनकी उल्झन का हम हल हुआ करते थे
वो दिन भी क्या दिन थे बहारें ही बहारें थी
उनके साथ गली कूचे गुलशन हुआ करते थे
फिर उन वफाओं को किस की नजर लग गयी
क्यों दुश्मन बन गये जो दोस्त हुआ करते थे
मुझे सामने देख कर भी अजनबी बने रहते हैं
जो लाखों मे मुझ से हमनजर हुआ करते थे
इन बादलों के बरसने अर भी नजर नहींेआते
जो बहक जते थे जैसे बादल हुआ करते थे
पाक दोस्ती का तकाज़ा है वो आयेंगे कभी जरूर
अभी सितारे गर्दिश मे हैं जो रहमते नजर हुआ करते थे !!