कविता
आज एक छोटी सी कविता जो पहले भी शायद कुछ लोगों ने पढी है। आजकल घर की व्यस्ततायों के चलते कुछ नया लिख नहीं पा रही। इसे ही झेल लीजिये।
छोटी सी बात
कई बार
जब हो जाते हैं
हम
मैं और तू
छोटी छौटी बातों पर
कर देते हैं रिश्ते
कचरा कचरा
तर्क---वितर्क
तकरारें--
आरोप--प्रत्यारोप
छिड जाता है
महाँसंग्राम
अतीत की डोर से
कटने लगती है
भविश्य की पतंग
और खडा रह जाता है
वर्तमान
मौन, निशब्द
पसर जाता है
एक सन्नाटा
उस सन्नाटे मे
कराहते हैं
छटपटाते हैं
और दम तोड देते हैं
जीवन के मायने
ओह!
रह जाते हैं
इन छोटी- छोटी बातों मे
जीने से
जीवन के बडे बडे पल
कई बार
जब हो जाते हैं
हम
मैं और तू
छोटी छौटी बातों पर
कर देते हैं रिश्ते
कचरा कचरा
तर्क---वितर्क
तकरारें--
आरोप--प्रत्यारोप
छिड जाता है
महाँसंग्राम
अतीत की डोर से
कटने लगती है
भविश्य की पतंग
और खडा रह जाता है
वर्तमान
मौन, निशब्द
पसर जाता है
एक सन्नाटा
उस सन्नाटे मे
कराहते हैं
छटपटाते हैं
और दम तोड देते हैं
जीवन के मायने
ओह!
रह जाते हैं
इन छोटी- छोटी बातों मे
जीने से
जीवन के बडे बडे पल
हम का मैं और तुम हो जाना ही तो छिन्न भिन्न कर जाता है जीवन जीने की ललसा की डोर --
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ज़िन्दगी के सच को बयां करती आपकी रचना सोचने पर मजबूर करती है...
ReplyDeleteसच ये मैं और तू के भाव सुखद पलों को हर लेते हैं....खूबसूरत रचना के लिए बधाई
कविता का उपसंहार ...
ReplyDeleteइस सब के बाद
फिर से मिल कर
हम हो जाना
आना चाहिए।
बहुत सुंदर रचना, बधाई!
सुंदर रचना-आभार
ReplyDeleteमाँ जी चरण स्पर्श
ReplyDeleteबेहतरिन व लाजवाब । बहुत-बहुत बधाई
भावों का सुंदर चित्रण
ReplyDeleteबेहतर...
ReplyDeleteमोंम.... बहुत सुंदर कविता....
ReplyDeletebahut he sundar kavita likhi hai aapne nirmala ji....
ReplyDeletejeevan ki sachchai bayaan karti...
जीवन के बड़े बड़े पल..
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत शब्द और भावनाएँ
अंतिम पंक्तियों में जीवन की सच्चाई छुपी है।
ReplyDeleteसुन्दर रचना।
jeevan ka sach bayan karti umda rachna.
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना , शुभकामनाएं और बधाई !
ReplyDeleteअतीत की डोर से
ReplyDeleteकटने लगती है भविष्य की पतंग
और स्तब्ध रह जाता है वर्तमान .
क्या खूब लिखा है निर्मला जी बहुत ही सुंदर ।
जीवन की गहरी, कड़वी सचाई को दर्शा रही है आपकी रचना ......... कई बार छोटे छोटे अहम जीने नही देते .........
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता
ReplyDeleteबहुत ही बढिया लगी कविता....
ReplyDeleteधन्यवाद्!
बहुत सुन्दर रचना --कम शब्दों में बेहतरीन अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteहेमन्त कुमार
अगर तुम ही तुम हो तो क्या तुम हो
ReplyDeleteअगर हम ही हम हैं तो क्या हम हैं
मिल कर साथ चलने में ही दम है
जय हिंद...
इस छोटी सी बात में बहुत बड़ा संदेश है
ReplyDeletebahut hi sarthak kavita.
ReplyDeleteसच है -
ReplyDeleteरह जाते हैं इन छोटी छोटी बातों में
जीने से
जीवन के बड़े बड़े पल
adbhut
ReplyDeleteabhar
Bahut ach'i kavita.....
ReplyDeleteab main kya aur kaise kahoon... bas jaldi hi aapki charan dhooli lene aa raha hoon Maasi..
ReplyDeleteJai Hind...
न जाने क्यूं होता है जिन्दगी के साथ
ReplyDeleteये छोटी-छोटी सी बात
सार्थक रचना।
माँ जी को प्रणाम।
ReplyDeleteसुन्दर रचना।
रह जाते हैं इन छोटी बातों में जीने से
ReplyDeleteजीवन के बडे पल
बहुत सुन्दर
प्रणाम स्वीकार करें
बहुत सुन्दर लिखा है... अतीत की डोर से बंधी भविष्य की पतंग...और दोनों के बीच..झूलता वर्तमान...बहुत सुन्दर
ReplyDeleteजीवन के सत्य को बडी सहजता से बयां कर दिया आपने।
ReplyDelete------------------
इसे आप पहचान पाएंगे? कोशिश तो करिए।
सन 2070 में मानवता के नाम लिखा एक पत्र।
बहुत खूब.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर शब्दों के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteभावों का सुंदर चित्रण...सार्थक रचना...बधाई !
ReplyDeleteयह कविता मैने तो पहली बार पढ़ी
ReplyDeleteबड़ी खूबसूरती से आपने समझा दिया है कि हम छोटी-छोटी बातों से जीवन के बड़े-बड़े पल नष्ट कर देते हैं।
जीवन के हर पल को यदि खुशी और मुस्कुरा कर जीना चाहते है तो मैं को अपने मन से निकलना ही पड़ेगा मैं और तू एक होने नही देते और लोग प्रेम की एकजुटता में बँध नही पाते..बहुत बढ़िया रचना..बधाई
ReplyDeleteछोटी छोटी बाते कई बड़े पलो को सन्नाटे में बदल देती हैं ....
ReplyDeleteबहुत गहरे अर्थ लिए कविता .....!!
"उस सन्नाटे में
ReplyDeleteकराहते हैं
छटपटाते हैं
और दम तोड़ देते हैं
जीवन के मायने"
सुन्दर अभिव्यक्ति!
Jeevan ka yatharth samete yah adbhut rachna jitni baar bhi padhi jaay purani nahi lagegi...
ReplyDeleteKavita ke maadhyam se jo sundar sandesh aapne diya hai,wah yadi log apna len jeevan me to fir kya kahna....
मन को छूती रचना.हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeletebahut he sundar kavita hai
ReplyDeleteइस छोटी सी कविता में जीवन के बड़े ही गूढ़ रहस्य को बखूबी जतला दिया है आपने निर्मला दी ! सोचने, समझने एवं आत्मसात करने लायक बहुत ही प्रेरक कविता ! साभार !
ReplyDeleteदिल की गहराईयों को छूने वाली एक खूबसूरत, संवेदनशील और मर्मस्पर्शी प्रस्तुति. आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.