सन 2009 तेरा शुक्रिया
वर्ष 2009 का जाते हुये धन्यवाद न करूँ तो ये कृ्त्घ्नता होगी। अगर मैं कहूँ कि ये साल मेरी ज़िन्दगी का सब से खूबसूरत और खुशियाँ देने वाला साल रहा तो गलत न होगा। प्यार रिश्तों का मोहताज़ नहीं होता। अन्तर्ज़ाल जैसी आभासी दुनिया मे भी रिश्ते कैसे फलते फूलते हैं ये महसूस कर अभिभूत हूँ।
जो प्यार और सम्मान मुझे इस साल मे मिला है उसकी तुलना दुनिया की किसी भी दौलत से नहीं की जा सकती ।। इस ब्लाग जगत ने मुझे अथाह प्यार दिया है, जिस मे अपने सब दुख तकलीफें अकेलापन यहाँ तक कि अपनी बिमारी भी भूल गयी हूँ। सब से बडी उपल्ब्धि मुझे दो भाईयों का प्यार बहुत मिला है। बडे भाई साहिब श्री प्राण शर्मा जी ने जो स्नेह और आशीर्वाद मुझे दिया है उससे मेरी ऊर्जा कई गुना बढ गयी है । आज कल किस के पास इतना समय है। वो मुझे गज़ल ही नहीं सिखाते और भी बहुत अच्छी अच्छी बातें सिखाते हैं । उनसे बात करके हमेशा खुद को पहले से सबल पाया है। जब मैने गज़ल सीखनी शुरू की तो मैं कहती थी कि मुझे कभी भी गज़ल लिखनी नहीं आ सकती मगर उन्होंने मुझे हमेशा उत्साहित किया। बेशक अभी अधिक अच्छी गज़ल कह नहीं पाती मगर गज़ल के गुर सीख रही हूँ। जब ब्लागिन्ग शुरू की थी तब मुझे कविता और गज़ल मे अन्तर नहीं पता था मगर भाई साहिब के स्नेह, पेशैंस और आशीर्वाद ने सीखने की राह आसान कर दी। उनकी ऋणी हूँ। उसके बाद छोटे भाई श्री पंकज सुबीर जी 01 ने मुझे *दी* कह कर अपने स्नेह मे बाँध लिया है। 1973 और 1983 मे दो भाई खोये थे और 2009 मे दोनो को पा लिया इससे बडी उपल्ब्धि और क्या हो सकती है। इसके बाद राज भाटिया जी ने भी यही सम्मान मुझे दिया। यूँ तो और बहुत से नाम हैं मगर इन से जो प्यार और सहयोग मिला उस की मिसाल नहीं है। दूसरी सब से बडी उपल्ब्धि है मुझे अर्श { प्रकाश सिंह अर्श} जैसा बेटा मिला इस के बारे मे इतना ही कहूँगी कि वो मेरी हर मुश्किल का हल है और मेरे हर सवाल का जवाब है, हर दुख ,सुख उस से कह लेती हूँ। फिर अच्छे बच्चों की तरह मुझे मश्विरा देता है ।हाँ मेरी गलती पर मुझे डाँट भी देता है।--- मुझे शब्द नहीं सूझ रहे कि उसके लिये क्या कहूँ। इसके बाद दीपक मशाल ने मुझे बहुत सम्मान दिया। यहाँ तक कि वो मुझ से मिलने मेरे पास नंगल भी आये। उसका प्यार और सम्मान पा कर अभिभूत हूँैआज के युग मे ऐसे बच्चे मिलना सच मे बहुत मुश्किल है। इसके बाद मुझे प्रकाश गोविन्द जी मिले उनकी क्या कहूँ बस निशब्द हू। इन बच्चों के संस्कार देख कर इनके माँ बाप को सलाम करती हूँ। प्रकाश गोविन्द जी ने मुझे बहुत कुछ सिखाया और हमेशा बहुत कुछ करने की प्रेरणा भी दी मगर मैं ही नालाय्क हूँ अभी तक उन आपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर सकी।इसके अतिरिक्त दर्पण शाह , ने भी बहुत सम्मान दिया है। एक नाम जो मैं बडे गर्व के साथ लेना चाहूँगी वो गौतम राज रिशी जी का है उनके सम्मान और प्यार के लिये भी उनकी ऋणी हूँ। मिथिलेश दुबे छोटे बच्चों की तरह मुझ से बहुत प्यार करता है। कुलवन्त हैपी, लोकेन्द्र विक्रम सिंह अर्विन्द, धीरज शाह महफूज़,प्रवीण पथिक, रविन्द्र्, इम सब ने मुझे बेटोंजैसा प्यार और सम्मान दिया। एक नाम जिस ने एक दम मेरे सामने उपस्थित हो कर मुझे हैरान कर दिया वो थे श्री अकबर खान राणा जी ।मुझे कहते कि आपका आशीर्वाद लेने आया हूँ सोचिये उस समय मेरी खुशी का कोई ठिकाना था?। आज कह सकती हूँ प्यार रिश्तों का मोहताज नहीं होता मुझे ये सभी बेटे अपनी लगते हैं। शायद अपना होता तो कभी पूछता भी नहीं। इसके बाद अपनी बेटियों का नाम भी लेना चहूँगी। एडी सेहर, विनीता यशस्वी, कविता रावत , रश्मि रविज़ा,कविता राजपूत वाणी जी । लडकियाँ मा के लिये इतनी चिन्तित रहती हैं कि अगर दो तीन दिन नेट पर नज़र न आऊँ तो लम्बी सी मेल आ जाती है। इन सभी बच्चों को बहुत बहुत आशीर्वाद
एक उल्लेखनीय नाम और लेना चाहूँगे जिस से मुझे कुछ और अधिक काम करने की प्रेरणा मिलती है वो है अनुज खुशदीप सहगल कभी मिली नहीं मगर मिलूँगी जरूर रिश्ता पता नहीं मगर मेरे मन से हर वक्त आशीर्वाद निकलता है उन के लिये, तो लगता है मेरे बेटे जैसे ही हैं। मुफ्लिस जी, दिगम्बर नास्वा जी पंकज मिश्रा जी , श्रीश पाठक जी, स्वपनिल भारतीयम् .निशू तिवारी,अनिल कान्त जी , ओम आर्यजी इन सब की भी आभारी हूँ कि समय समय पर मुझे अपने स्नेह से उत्साहित करते हैं। नीरज गोस्वामी जी ,दिनेश राय दिवेदी जी की भी आभारी हूँ। स. पावला जी की बहुत आभारी हूँ मुझे पंजाबी लिखने मे जो समस्या आती है उसका हल उनके पास होता है। अगर श्री आशीश खन्डेलवाल जी का नाम न लूँ तो शायद सब से बडी भूल हो जायेगी। मुझे ब्लाग के बारे मे बहुत कुछ उन्होंने सिखाया है। चाहे वो व्यस्त भी रहे हों मै झट से उन्हें बज़ कर देती और चुटकी मे मेरी समस्या हल कर देते।
उपर तो उन लोगों की बात हो रही थी जिन से मेल या चैट दुआरा सम्पर्क मे रहती हूँ । इसके अतिरिक्त मेरे पाठक जो मुझे अपनी प्रतिक्रियाओं से उतसाहित करते हैं उनकी बहुत बहुत आभारी हूँ। मैं अलपग्य कुछ भी नहीं थी मगर मेरे पाठकों ने मुझे सिर आँखों पर बिठाया। श्री रविन्द्र प्रभात जी के ब्लाग *परिकल्पना* से जब पता चला कि मेरा नाम उन नौं देवियों मे है जिनके ब्लाग इस साल चर्चा मे रहे और आगे रहे। इस से मेरा उत्साह बढा है। उनका आभार ।
ये सब लिखने का मेरा एक मकसद ये भी है कि प्रोत्साहन इन्सान को आगे बढने की शक्ति देता है । आओ सब पिछले सब झगडे भूल कर नये साल मे ब्लाग जगत मे प्रेम की परिभाषा सीखें और नये आने वाले शब्दशिलपियों को प्रोत्साहित करेंमैने अपने शहर से भी दो नये ब्लागर्ज़ बनाये हैं। एक राकेश वर्मा जी{ http://akhrandavanzara.blogspot.com/} aur doosare Sanjeev kuraalia jee{ http://kalamkakarz.blogspot.com/} }इन्हें भी अपना आशीर्वाद दें। ये मेरे इस साल का लेखा जोखा है। मेरी उपल्ब्धियों का और जो प्यार मैने ब्लाग जगत से पाया है। सभी का धन्यवाद।ये सब मेरे दामाद ललित सूरी जी की वजह से हुया है। उसे भी बहुत बहुत आशीर्वाद ।
नये साल की सब को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें। मेरे बच्चों को आशीर्वाद। दो तीन दिन ब्लाग से दूर रहूँगी। चार पँक्तियाँ नये साल के लिये
नये साल ऐसे तराने सुनाओ
लुटाओ खुशी के खज़ाने लुटाओ
चलो अब मिटा दें गिले सब पुराने
मिलन के कोई तो बहाने बनाओ
न जात और धर्मों का बन्धन रहे
उठो नफरतों के ठिकाने मिटाओ
कहो बात वो प्यार बढता रहे
अंधेरे घरों मे दिये से जलाओ
वर्ष 2009 का जाते हुये धन्यवाद न करूँ तो ये कृ्त्घ्नता होगी। अगर मैं कहूँ कि ये साल मेरी ज़िन्दगी का सब से खूबसूरत और खुशियाँ देने वाला साल रहा तो गलत न होगा। प्यार रिश्तों का मोहताज़ नहीं होता। अन्तर्ज़ाल जैसी आभासी दुनिया मे भी रिश्ते कैसे फलते फूलते हैं ये महसूस कर अभिभूत हूँ।
जो प्यार और सम्मान मुझे इस साल मे मिला है उसकी तुलना दुनिया की किसी भी दौलत से नहीं की जा सकती ।। इस ब्लाग जगत ने मुझे अथाह प्यार दिया है, जिस मे अपने सब दुख तकलीफें अकेलापन यहाँ तक कि अपनी बिमारी भी भूल गयी हूँ। सब से बडी उपल्ब्धि मुझे दो भाईयों का प्यार बहुत मिला है। बडे भाई साहिब श्री प्राण शर्मा जी ने जो स्नेह और आशीर्वाद मुझे दिया है उससे मेरी ऊर्जा कई गुना बढ गयी है । आज कल किस के पास इतना समय है। वो मुझे गज़ल ही नहीं सिखाते और भी बहुत अच्छी अच्छी बातें सिखाते हैं । उनसे बात करके हमेशा खुद को पहले से सबल पाया है। जब मैने गज़ल सीखनी शुरू की तो मैं कहती थी कि मुझे कभी भी गज़ल लिखनी नहीं आ सकती मगर उन्होंने मुझे हमेशा उत्साहित किया। बेशक अभी अधिक अच्छी गज़ल कह नहीं पाती मगर गज़ल के गुर सीख रही हूँ। जब ब्लागिन्ग शुरू की थी तब मुझे कविता और गज़ल मे अन्तर नहीं पता था मगर भाई साहिब के स्नेह, पेशैंस और आशीर्वाद ने सीखने की राह आसान कर दी। उनकी ऋणी हूँ। उसके बाद छोटे भाई श्री पंकज सुबीर जी 01 ने मुझे *दी* कह कर अपने स्नेह मे बाँध लिया है। 1973 और 1983 मे दो भाई खोये थे और 2009 मे दोनो को पा लिया इससे बडी उपल्ब्धि और क्या हो सकती है। इसके बाद राज भाटिया जी ने भी यही सम्मान मुझे दिया। यूँ तो और बहुत से नाम हैं मगर इन से जो प्यार और सहयोग मिला उस की मिसाल नहीं है। दूसरी सब से बडी उपल्ब्धि है मुझे अर्श { प्रकाश सिंह अर्श} जैसा बेटा मिला इस के बारे मे इतना ही कहूँगी कि वो मेरी हर मुश्किल का हल है और मेरे हर सवाल का जवाब है, हर दुख ,सुख उस से कह लेती हूँ। फिर अच्छे बच्चों की तरह मुझे मश्विरा देता है ।हाँ मेरी गलती पर मुझे डाँट भी देता है।--- मुझे शब्द नहीं सूझ रहे कि उसके लिये क्या कहूँ। इसके बाद दीपक मशाल ने मुझे बहुत सम्मान दिया। यहाँ तक कि वो मुझ से मिलने मेरे पास नंगल भी आये। उसका प्यार और सम्मान पा कर अभिभूत हूँैआज के युग मे ऐसे बच्चे मिलना सच मे बहुत मुश्किल है। इसके बाद मुझे प्रकाश गोविन्द जी मिले उनकी क्या कहूँ बस निशब्द हू। इन बच्चों के संस्कार देख कर इनके माँ बाप को सलाम करती हूँ। प्रकाश गोविन्द जी ने मुझे बहुत कुछ सिखाया और हमेशा बहुत कुछ करने की प्रेरणा भी दी मगर मैं ही नालाय्क हूँ अभी तक उन आपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर सकी।इसके अतिरिक्त दर्पण शाह , ने भी बहुत सम्मान दिया है। एक नाम जो मैं बडे गर्व के साथ लेना चाहूँगी वो गौतम राज रिशी जी का है उनके सम्मान और प्यार के लिये भी उनकी ऋणी हूँ। मिथिलेश दुबे छोटे बच्चों की तरह मुझ से बहुत प्यार करता है। कुलवन्त हैपी, लोकेन्द्र विक्रम सिंह अर्विन्द, धीरज शाह महफूज़,प्रवीण पथिक, रविन्द्र्, इम सब ने मुझे बेटोंजैसा प्यार और सम्मान दिया। एक नाम जिस ने एक दम मेरे सामने उपस्थित हो कर मुझे हैरान कर दिया वो थे श्री अकबर खान राणा जी ।मुझे कहते कि आपका आशीर्वाद लेने आया हूँ सोचिये उस समय मेरी खुशी का कोई ठिकाना था?। आज कह सकती हूँ प्यार रिश्तों का मोहताज नहीं होता मुझे ये सभी बेटे अपनी लगते हैं। शायद अपना होता तो कभी पूछता भी नहीं। इसके बाद अपनी बेटियों का नाम भी लेना चहूँगी। एडी सेहर, विनीता यशस्वी, कविता रावत , रश्मि रविज़ा,कविता राजपूत वाणी जी । लडकियाँ मा के लिये इतनी चिन्तित रहती हैं कि अगर दो तीन दिन नेट पर नज़र न आऊँ तो लम्बी सी मेल आ जाती है। इन सभी बच्चों को बहुत बहुत आशीर्वाद
एक उल्लेखनीय नाम और लेना चाहूँगे जिस से मुझे कुछ और अधिक काम करने की प्रेरणा मिलती है वो है अनुज खुशदीप सहगल कभी मिली नहीं मगर मिलूँगी जरूर रिश्ता पता नहीं मगर मेरे मन से हर वक्त आशीर्वाद निकलता है उन के लिये, तो लगता है मेरे बेटे जैसे ही हैं। मुफ्लिस जी, दिगम्बर नास्वा जी पंकज मिश्रा जी , श्रीश पाठक जी, स्वपनिल भारतीयम् .निशू तिवारी,अनिल कान्त जी , ओम आर्यजी इन सब की भी आभारी हूँ कि समय समय पर मुझे अपने स्नेह से उत्साहित करते हैं। नीरज गोस्वामी जी ,दिनेश राय दिवेदी जी की भी आभारी हूँ। स. पावला जी की बहुत आभारी हूँ मुझे पंजाबी लिखने मे जो समस्या आती है उसका हल उनके पास होता है। अगर श्री आशीश खन्डेलवाल जी का नाम न लूँ तो शायद सब से बडी भूल हो जायेगी। मुझे ब्लाग के बारे मे बहुत कुछ उन्होंने सिखाया है। चाहे वो व्यस्त भी रहे हों मै झट से उन्हें बज़ कर देती और चुटकी मे मेरी समस्या हल कर देते।
उपर तो उन लोगों की बात हो रही थी जिन से मेल या चैट दुआरा सम्पर्क मे रहती हूँ । इसके अतिरिक्त मेरे पाठक जो मुझे अपनी प्रतिक्रियाओं से उतसाहित करते हैं उनकी बहुत बहुत आभारी हूँ। मैं अलपग्य कुछ भी नहीं थी मगर मेरे पाठकों ने मुझे सिर आँखों पर बिठाया। श्री रविन्द्र प्रभात जी के ब्लाग *परिकल्पना* से जब पता चला कि मेरा नाम उन नौं देवियों मे है जिनके ब्लाग इस साल चर्चा मे रहे और आगे रहे। इस से मेरा उत्साह बढा है। उनका आभार ।
ये सब लिखने का मेरा एक मकसद ये भी है कि प्रोत्साहन इन्सान को आगे बढने की शक्ति देता है । आओ सब पिछले सब झगडे भूल कर नये साल मे ब्लाग जगत मे प्रेम की परिभाषा सीखें और नये आने वाले शब्दशिलपियों को प्रोत्साहित करेंमैने अपने शहर से भी दो नये ब्लागर्ज़ बनाये हैं। एक राकेश वर्मा जी{ http://akhrandavanzara.blogspot.com/} aur doosare Sanjeev kuraalia jee{ http://kalamkakarz.blogspot.com/} }इन्हें भी अपना आशीर्वाद दें। ये मेरे इस साल का लेखा जोखा है। मेरी उपल्ब्धियों का और जो प्यार मैने ब्लाग जगत से पाया है। सभी का धन्यवाद।ये सब मेरे दामाद ललित सूरी जी की वजह से हुया है। उसे भी बहुत बहुत आशीर्वाद ।
नये साल की सब को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें। मेरे बच्चों को आशीर्वाद। दो तीन दिन ब्लाग से दूर रहूँगी। चार पँक्तियाँ नये साल के लिये
नये साल ऐसे तराने सुनाओ
लुटाओ खुशी के खज़ाने लुटाओ
चलो अब मिटा दें गिले सब पुराने
मिलन के कोई तो बहाने बनाओ
न जात और धर्मों का बन्धन रहे
उठो नफरतों के ठिकाने मिटाओ
कहो बात वो प्यार बढता रहे
अंधेरे घरों मे दिये से जलाओ
आपकी शुभेच्छा में मैं भी शामिल हूं.
ReplyDeleteनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं !
ReplyDeleteपूरे साल पर एक विहंगम दृष्टि डाल कर नये साल का स्वागत करना बहुत अच्छा है। 2010 में आपके साथ सब अच्छा अच्छा ही हो।
ReplyDeleteशुभकामनाऍं
इस उत्साह को नए साल में नयी उर्जा के साथ बनाये रखें
ReplyDelete- अफ़लातून
आपको नव वर्ष की शुभकामनाएं।
ReplyDeletenice
ReplyDeleteआपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteयही तो विशेषता है हिन्दी ब्लोग की कि हम सब के बीच एक अनोखे स्नेह का रिश्ता कायम कर दिया है।
ReplyDeleteनववर्ष आपके लिये शुभ हो!
Mata ji ek bete ko bhul gai..ham bhi aapke sneh aur aashirwaad me bade hai aur aaj tak kuch na kuch sikh hi rahe hai.snhe banaye rakhe ...sadar prnaam
ReplyDeletenaye saal ki hardik shubhakamnayen!!!
नया वर्ष आपके लिए और भी ढेर सारी खुशियाँ लाये आप यूँ ही सबकी प्रिय बनी रहे और स्वस्थ रहे यही दुआ करेंगे
ReplyDeleteitne nye rishto ke sath nya sal me aur nye rishto ki bhar ho .shubhkamnaye
ReplyDeleteआमीन ......... आपने स्नेह का पात्र मैं भी हूँ, ये जान कर बहुत अच्छा लग रहा है ......... आप बहुतों को प्रेरणा देती हैं, ये आपकी खूबी है ......... प्यार का खजाना लुटाना आसान नही होता पर आप दोनो हाथों से उसे लौटाती हैं ......... आपको नये साल की बहुत बहुत शुभकामना ..........
ReplyDeleteनव वर्ष की शुभकामनायें
ReplyDelete"जस की तस धर दीनी चदरिया .."
ReplyDeleteनव वर्ष की अन गिन शुभकामनायें...!
यदि आपने इन लोगों का लिंक दिया होता तब और भी अच्छा होता।
ReplyDeleteआपको भी, नये साल की शुभकामनायें।
बहुत ही सुन्दर ढ़ंग से दर्शाया गया अपनापन है आपकी इस पोस्ट में, जी। आपको नववर्ष की शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteआप को इस साल की तरह अगला साल भी ऎसे ही खुशियो भरा आये,बहुत अच्छा लगा, आप के प्यार जताने का यह तरीका. धन्यवाद
ReplyDeleteविनोद जी क्षमा चाहती हूँ। सच मे आपको भूल ही गयी आपको क्या अपनी दो ऐसी बहनो को भी भूल गयी जिनसे रोज़ नहीं तो 2-3 दिन बाद बात करती हूँ वो हैं रंजना भाटिया जी और वन्दना गुप्ता जी। उन से भी क्षमा चाहती हूँ। और भी कुछ लोगों को भूल गयी हूँ उनसे भी क्षमा चाहती हूँ
ReplyDeleteचलो अब मिटा दें गिले सब पुराने
ReplyDeleteमिलने के कोई तो बहाने बनाओ
बहुत ही उच्च स्तरीय बिचार एवं अभिव्यक्ति आपने प्रसतुत की है । धन्यवाद !
prnaam maa aap ka pyaar aur sneh dekh kar gadgad hun
ReplyDeletenav barsh ki harsdik shubh kaamnaye
saadar
praveen pathik
9971969084
नववर्ष के स्वागत में बहुत सुन्दर पंक्तियां लिखीं आपने---आपको भी नूतन वर्ष मंगलमय हो।
ReplyDeleteहेमन्त कुमार
आप के इस स्नेह का कोई जवाब किसी के पास नहीं है। सकारात्मक सोच के लोग बुरी से बुरी परिस्थिति में भी अच्छाई सोच लेते हैं और घटनाओँ से प्राप्त सीख को दुनिया को बता देते हैं।
ReplyDeleteमाँ जी चरण स्पर्श
ReplyDeleteबस आप यूं ही खुश रहें और प्यार बरसाती रहें , । भगवान से दुआ करता हूँ की आने वाला नव वर्ष आपके लिए खुशियों की शौगात ले के आये ।
आपको नव वर्ष की शुभकामनाएं।
ReplyDeleteनिर्मला जी, इतना बड़ा ब्लॉग परिवार पाने पर हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteये ब्लॉग जगत है ही ऐसा की अपने आप रिश्ते बन जाते हैं , अनदेखे लोगों से।
वैसे आदर और पारस्परिक सम्मान बना रहे , आज इस की बहुत ज़रुरत है।
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।
उपलब्धि आप मुझे पाकर खुश हैं और इसी नाम पर मैं आपको पाकर खुश हूँ, बस इतना ही नहीं ये है के मैं भाग्यशाली मान रहा हूँ के आप मुझे माँ स्वरुप मिली ... आप हमेशा ख्हुश और स्वस्थ्य रहे यही भगवान् से सदा प्रार्थना करता हूँ ... आप ग़ज़ल लेखन में खूब आगे जाएँ ... बस कुछ ही दिनों में आपने बहुत कुछ सिखा है ग़ज़ल लेखन में , मैं आश्चर्यचकित तो इस बात पे होता हूँ के इस उम्र में भी आपकितनी उर्जावान हैं और निरंतरता है आपके लेखन में , आदरणीय प्राण शर्मा जी के सानिध्य में आप अछि ग़ज़ल लिख रही हैं , गुरु देव पंकज सुबीर जी से भी आप ग़ज़ल के गुर सीखती रहती है , इन सभी बातों से यही पता चलता है के आप में सिखने की कितनी ललक है , और लेखन में यही सर्वोपरि बात है ... अंतरजाल ने वाकई अछे लोग दिए हैं जिसकी अप आभार ब्यक्त कर रही है ... अछि बात है वरना लोग ऐसा मानाने से इनकार करते हैं...
ReplyDeleteनव वर्ष आपके लिए ख़ुशी , बेहतर स्वस्थ्य , और अधिक ऊर्जा प्रदान दे....
आपके आशीर्वाद के तले
आपका
अर्श
अच्छे लोगों को सब अच्छे ही लगते हैं । दी आप स्वयं इतनी अच्छी हैं कि आपको सब अच्छे लगते हैं । आपका व्यवहार अपने आप में अनोखा है । वास्तव में साहित्य कार के लिये सबसे पहली शर्त होती है कि वो विनम्र हो । आपके पास तो विनम्रता का भंडार है । इसी कारण जो भी आपके संपर्क में आता है वो आपसे एक पारिवारिक रिश्ता सा मेहसूस करने लगता है । जो लोग इत्र का व्यापार करते हैं उनके हाथ हमेशा खुश्बुओं से भरे होते हैं । आप भी चूंकि नेह बांटने का काम करती हैं इसलिये आपके दामन में नेह की महक हमेशा रहती है । आपको भी नये साल की शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteआपका अनुज सुबीर
चलो अब मिटा दें गिले सब पुराने
ReplyDeleteमिलने के कोई तो बहाने बनाओ ।।
कितनी सुन्दर बात कही आपने.......
लाजवाब रचना!
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाऎँ!!!!
इस आलेख और ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteआपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
बहुत बहुत आभार .....मैडम ..बहुत कमाल लिखा है आपने, आपकी इस रचना के बहाने आप के उस विशाल परिवार से भी मिलना हो गया जो सबके नसीब मैं नहीं होता,आपका सनेह, आपका प्यार हमेशा हमारे लिए प्रेरणा श्रोत रहा है ,आपको आपके विशाल परिवार के सभी सदस्यों को तथा खास आदरणीय श्री कपिला साहिब को नव वर्ष की ढेरों शुभकामनायें !
ReplyDeleteथोड़ा बहुत स्नेह इधर भी बरस जाये तो धन्य समझेंगे.
ReplyDeleteयह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।
हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.
मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.
नववर्ष में संकल्प लें कि आप नए लोगों को जोड़ेंगे एवं पुरानों को प्रोत्साहित करेंगे - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।
निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।
वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।
आपका साधुवाद!!
नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ!
समीर लाल
उड़न तश्तरी
कभी हम याद आएंगे उन्हें भी
ReplyDeleteकभी वो सोचकर देखेंगे हमको
कभी हम उनके दिल में भी रहेंगे
कभी आशीष देंगे वो भी हमको
नववर्ष की असंख्य शुभकामनाएं स्वीकारें।
बढ़िया पोस्ट है जी!
ReplyDeleteहम तो अपना नाम ढूँढते ही रह गये।
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !
निर्मला जी
ReplyDeleteइन दिनों बच्चे आये हुए थे, इस कारण ब्लाग जगत से दूरी बन गयी थी। आज कुछ समय निकालकर ब्लाग खोला और सीधे ही आपके ब्लाग पर चले आयी। आपकी पोस्ट अच्छी लगी बस आपके चाहने वालों में हमारा नाम भी डाल लीजिए। कभी उदयपुर आइए, अपना ही परिवार समझ कर।
happy new year..
ReplyDeleteनिर्मला जी ,
ReplyDeleteइस वर्ष के आपके लेखे जोखे से मुझे भी बहुत प्रेरणा मिली है....
बहुत खूबसूरती से आपने सबको याद किया है....बधाई
नव वर्ष की शुभकामनायें
आपको भी नववर्ष की शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteआपने याद कर स्नेह दिया
ReplyDeleteआभार
बी एस पाबला
आपको हमेशा ऐसे ही ढेर सारी खुशियाँ और प्यार मिलता रहे ......................
ReplyDeleteनव वर्ष की ढेर सारी शुभकामनायें
आपके लिए हर नामांकित हिन्दी लिखनेवाले ब्लोगरों के प्रति स्नेह दर्शाने में हम भी आपके संग
ReplyDeleteशामिल हैं निर्मल कपिला जी
और
आपके समस्त परिवार को ,
नव - वर्ष की मेरी हार्दिक
शुभ कामनाएं भी प्रेषित कर रही हूँ
- लावण्या
आपने अपने स्नेह बंधन में ऐसा बांध लिया है ....आपका स्नेह और आशीष हम पर हमेशा ऐसा ही बना रहे ...बहुत आभार व शुभकामनायें ...!!
ReplyDeleteजिसको कभी हमने देखा ही नहीं, उसकी सूरत क्या होगी, जाने क्या होगी,
ReplyDeleteए मां, तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी, क्या होगी...
नया साल आप और आपके परिवार के लिए असीम खुशियां ले कर आए...
जय हिंद...
इन स्नेह-संबंधों के बाद क्या शेष रह जायेगा !
ReplyDeleteनववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें ।
haardik shubhkaamnaayen aapko aur aapke parivaar ko......
ReplyDeleteआपने तो बड़े धैर्य से सबको याद किया, इस नाचीज़ को भी........अभिभूत हूँ मैं,आपने शुरुआत से ही मेरा उत्साह बढाया...और लिखते रहने की प्रेरणा दी...आप जैसे लोगों की ही ब्लॉग जगत को जरूरत है.
ReplyDeleteनव वर्ष मंगलमय हो और आप ऐसे ही सब पर अपना ममता लुटाती रहें
Nirmala ji,
ReplyDeletenaye varsh ki aapko bahut bahut shubh kamanayen aap swasth aur sanand rahen.
निर्मला जी , आपको नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये !
ReplyDeleteआपका २००९ बहुत सुंदर रहा और आपके कारण हमारा भी आापके ब्लॉग पर आकर हमेशा कुछ पाकर ही जाते हैं और आपकी टिप्पणियों से हौसला-अफजाई होती है । । २०१० भी आपके लिये स्वास्थ्य और खुशियां लेकर आये ।
ReplyDeleteआपकी गजल/कविता बहुत प्रेरक और खूबसूरत है ।
ReplyDeleteनिर्मला जी, आपको नव वर्ष की ढेर सारी शुभकामनायें.
ReplyDeleteवर्ष नव-हर्ष नव-उत्कर्ष नव
ReplyDelete-नव वर्ष, २०१० के लिए अभिमंत्रित शुभकामनाओं सहित ,
डॉ मनोज मिश्र
NOOTAN VARSH,2010 AAP AUR AAPKE
ReplyDeleteSAB CHAHETON KE LIYE HARAA-BHARAA
HO.
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteनया साल आपको बहुत बहुत मुबारक हो निर्मला जी...
ReplyDeleteआया वर्ष आपके ब्लॉग को और भी समर्द्ध बनाए..
नव वर्ष की बहुत शुभकामनायें ...!!
ReplyDeleteमाँ जी को प्रणाम ।
ReplyDeleteआप स्नेह आशीष हमारे लिये आशीर्वाद है।
आप को नया साल मुबारक हो।
नव वर्ष की अशेष कामनाएँ।
ReplyDeleteआपके सभी बिगड़े काम बन जाएँ।
आपके घर में हो इतना रूपया-पैसा,
रखने की जगह कम पड़े और हमारे घर आएँ।
--------
2009 के ब्लागर्स सम्मान हेतु ऑनलाइन नामांकन
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन के पुरस्कार घोषित।
निर्मला जी, नया वर्ष आपके लिए हर खुशी लाये.
ReplyDeleteआपके ब्लोगी परिवार का विस्तार इसी प्रकार बढ़ता जाये. प्राण जी
और अन्य सभी शुभचिंतकों का स्नेह इसी तरह बना रहे.
नए वर्ष की शुभकामनाओं सहित
महावीर शर्मा
जो गैरों को भी अपना बना ले वो महान होता है।
ReplyDeleteआपके इस पोस्ट में छुपे अपनेपन के भाव से मन प्रसन्न हो गया।
चलो अब मिटा दें गिले सब पुराने
मिलन के कोई तो बहाने बनाओ
--वाह क्या बात है!
पहली बार इस ब्लॉग पर आया ..अच्छा लगा.......
ReplyDeleteनव वर्ष की मंगल कामनाओं के साथ आप के दरबार में हाज़िर हूँ. जो कविता आपने लिखी है (क्षमा चाहूँगा) उससे कहीं बेहतर वो रचना है जो गध में लिखी गयी है. आपने अपने मन के उदगार जितनी सरलता से रखे हैं, उनकी जितनी तारीफ की जाए कम है. अच्छे लोगों को अच्छे ही लोग मिलते हैं. आदरणीय शर्मा जी और पंकज सुबीर जी जो पुनीत कार्य कर रहे हैं उसकी भी सराहना शब्दों में नहीं की जा सकती. अर्श और दर्पण तो जैसे युग के प्राणी ही नहीं हैं. कहाँ मिलते हैं अब संस्कारवान युवा?
ReplyDeleteलम्बे समय बाद आपके ब्लॉग तक आ सका हूँ. इस अनुपस्थिति के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ. दरअसल मेरा काम कुछ इस तरह का है जिसमें अक्सर मुझे हफ्तों बहर रहना पड़ता है. लेकिन आप सभी को मैं कभी भूलता नहीं. भविष्य में भी यदि ऐसा हो तो मेरी मजबूरी का ख्याल कीजिएगा.
नव वर्ष की बहुत बहुत शुभकामनायें .आप तो हम सब की प्रेरणा हैं.
ReplyDeleteSACH KAHA AAPNE...AABHASI DUNIYA KE YE NIRALE RISTE SACHMUCH HI BHAVUK KAR DIYA KARTE HAIN....
ReplyDeleteNAV VARSH KI ANANT SHUBHKAMNAYEN...ISHWAR KAREN YAH VARSH PICHHLE SE BHI BEHTAR HO....
aapko naye varsh ki haardik shubhkaamnaaye ,bata nahi sakti kitne dhyaan se is lekh ko padhti rahi ,aur aese kho gayi ki aankhe nam ho gayi ,aap to prerna hai ,misaal hai hum sabhi ke liye .rishte to vastav me dekha jaaye jo samvendanao ke hi hote hai .achcha bahut achchha laga aakar yahan .
ReplyDeleteMUMMY JI KAISI KAI.......
ReplyDeleteSANJAY KO BHOOL GAI.......AAP
चलो अब मिटा दें गिले सब पुराने
ReplyDeleteमिलने के कोई तो बहाने बनाओ
bahut hi sunder sher aur bhaav purn panktiyan
Nirmla ji
aapko bhi nav varsh ki mangal kaamnaayen
चलो अब मिटा दें गिले सब पुराने
ReplyDeleteमिलने के कोई तो बहाने बनाओ
बहुत ही भावपूर्ण शेर है . बधाई!!