26 August, 2009

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दुख मे पलती नारी तौबा
जीवन भर लाचारी तौबा

मेरे चैन का दुश्मन है जो
उस से ही दिल हारी तौबा

मुह पर मीठा बोलें सब
दिल मे देख कटारी तौबा

कौन किसी का दुख बँटाता
झूठी रिश्तेदारी तौबा

माँ ना हो तो पीहर कैसा
भाई की सरदारी तौबा

आटा नकली दालें नकली
देखो चोर बजारी तौबा

अन्धी पीसे कुत्ता चाटे
माल जु है सरकारी तौबा

जनता का रखवाला सांसद
जमता पर अब भारी तौबा

चोरों मे से चोर चुनें अब
वोटर की लाचारी तौबा

अफसर करते सैर सपाटे
कारें हैं सरकारी तौबा

चाल समझ तू दुनिया की
बात करें दो धारी तौबा

कैसे रिश्ते रह गये"निर्मल"
माँ ने बेटी मारी तौबा


38 comments:

  1. वहा निर्मला जी क्या बात है। आपने एक छोटे से गजल के माध्यम से बहुत सी सच्चाई सामने रख दी। और क्या कहूँ आपकी रचना तो हमेशा लाजवाब होती है। बहुत बढिया।

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  2. कड़वे सच को सामने रखती हुई ग़ज़ल....मजा आ गया पढ़कर

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  3. कैसे रिश्ते रह गये"निर्मल"
    माँ ने बेटी मारी तौबा

    बेहद सटीक और इमानदार रचना.

    शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  4. मतले में भी नारी तौबा
    मक़्ते में भी नारी तौबा

    कलम आपकी उगल रही है
    ग़ज़लें कित्ती भारी तौबा

    सोच आपकी कित्ती गहरी ?
    शैली कित्ती प्यारी तौबा

    आपकी गज़लों पर 'अलबेला'
    छन्द मेरे बलिहारी तौबा

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  5. चोरों मे से चोर चुनें अब
    वोटर की लाचारी तौबा

    ACHHI GAZAL BANI HAI .. YE SHE'R KHASA PASAND AAYA... IS EK SHE'R PE MERI SAARI GAZALEN KURBAAN... AAPKI KUSHALATAA KI KAMANAA KARTA HUN ... SAADAR PRANAAM...


    ARSH

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  6. सुंदर सुंदर भाव जोड़कर कविता है निखारी तौबा,
    इतने बढ़िया ग़ज़ल पे हम, हो जाएँगे वारी तौबा,

    कितने गिरते जा रहे है पद जो है सरकारी तौबा,
    लालच,स्वार्थ के लिए देखो, होती मारामारी तौबा.

    बहुत बढ़िया रचना...बधाई..

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  7. इस रचना के लिए तो यही कह सकता हूँ-
    बेहतरीन!

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  8. कैसे रिश्ते रह गये"निर्मल"
    माँ ने बेटी मारी तौबा

    हर पंक्ति लाजवाब बन पड़ी है, यह लाइनें दिल को छू गई, इतनी सुन्‍दर रचना प्रस्‍तुत करने के लिये आभार्

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  9. itna katu satya kitni sahajta se kah diya aapne.
    kaise rishtey rah gaye nirmal
    maa ne beri mari tauba

    lajawaab...........ek aisa satya jise kehna aasan nhi hota.
    vaise to har sher bahut hi khoobsoorat bana hai bas ye kuch khas hi dil ko choo gaya.

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  10. छोट बहर की बेहतरीन रचना निर्मला जी। आदर सहित आपके लेखनी को नमन। लेकिन नारी के बारे में मैं कहना चाहता हूँ कि-

    रूप तेरे हजार तू सृजन का आधार
    माँ की ममता भी तुझमें बहन का भी प्यार

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  11. बहुत ही खरी खरी कह डाली है आपने जो यह सत्य जमाने तक पहुचनी चाहिये कि किन किन बातो पर दुनिया वालो को तौबा कर डालनी चाहिये .......अतिसुन्दर ..........पर क्या कहे यह सब घाटित हो रहा ही है .........पर हम आम आदमी ही कुछ कर सकते है ........एक कोशिश यू हो की चेतना को जगाया जाये .......

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  12. मेरे चैन का दुश्मन है जो
    उस से ही दिल हारी तौबा

    चोरों मे से चोर चुनें अब
    वोटर की लाचारी तौबा

    जानदार शेरों से सजी आपकी ये ग़ज़ल बेमिसाल है...अब तक आप अपने संस्मरणों और कहानियों से ही हमें चमत्कृत करती आयीं थीं अब ग़ज़ल में भी आप कमाल कर रही हैं...सच्ची साहित्यकार हैं आप...बधाई...
    नीरज

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  13. choron men se chor chune ab
    voter kilachari tauba.

    wah, sabhi sher lajawaab.badhai.

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  14. छोटे बहर में उम्दा विचार..आनन्द आया.

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  15. बहुत सुन्दर!

    गजल के जानकार कहते हैं कि छोटे बहर की गजल लिखना बहुत मुश्किल है लेकिन आपकी गजल पढ़कर लगा कि आपके लिए बहुत आसान है. बहुत ही बढ़िया लगा पढ़कर.

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  16. "कैसे रिश्ते रह गये"निर्मल"
    माँ ने बेटी मारी तौबा "
    पहली बार आपकी गजल पढ़ी अपने सच्चाई की इबारत इतने सरल शब्दों में लिख डाली
    सब कुछ तो लिख दिया है इसमें
    जिससे हर कोई करता तौबा
    फिर भी सबकी लाचारी देखो
    नोटों मिले तो कैसी तौबा

    बहुत ही सुन्दर !!!!!!!!! बधाई

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  17. चाल समझ तू दुनिया की
    बात करें दो धारी तौबा

    कैसे रिश्ते रह गये"निर्मल"
    माँ ने बेटी मारी तौबा
    Adarneeya Nirmala ji,

    bahut gahrai tak ghav karne vale shabd .....man ko bheetar tak sparsh kar gayee ye gajal.
    Poonam

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  18. बेहद सटीक रचना

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  19. निर्मला जी

    गजल तो अच्‍छी है ही लेकिन उसकी प्रतिक्रिया में लिखी पंक्तियां भी श्रेष्‍ठ है। बधाई।

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  20. छोटे बहर में एक अद्वितीय ग़ज़ल. सामाजिक बुराइयों पर गहरी चोट करती आपकी उत्कृष्ट पंक्तियाँ "तोबा" के संग.
    बधाई स्वीकार करें

    शायद ग़ज़ल के निम्न शेर की द्वितीय पंक्ति में

    जनता का रखवाला संसद
    जमता पर अब भारी तोबा

    एक टाइपिंग त्रुटी रह गई है, इसमें "जमता" के स्थान पर "जनता" होना चाहिए शायद.

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  21. कैसे रिश्ते रह गये"निर्मल"
    माँ ने बेटी मारी तौबा ||

    कितना सच लिखा है आपने!!!
    इस लाजवाब, दिल को छू लेने वाली रचना के लिए बधाई स्वीकारें!!!!!

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  22. कमाल की गज़ल है आपकी क्या चुन चुन कर लगाये हैं ।

    चोरों मे से चोर चुनें अब
    वोटर की लाचारी तौबा
    वाह ।

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  23. क्या कहूँ दी, मुग्ध कर दिया आपकी इस रचना ने...हर शेर इसलिए हतप्रभ करता गया कि कटु यथार्थ को कितने सुन्दरता से आपने शब्दों में ढाल सीधे मन पर छपने बसने लायक बना दिया है......वाह वाह वाह...

    आपकी लेखनी और प्रतिभा को शत शत नमन...

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  24. बहुत ही अच्छी रचना!
    आनंदित कर दिया आपने।

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  25. आपकी गजल बहुत करारा व्यंग है समाज पर
    छोटी बहर पर कमाल का प्रयोग किया आपने
    वीनस केसरी

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  26. चोरों मे से चोर चुनें अब
    वोटर की लाचारी तौबा

    वाह क्या सटीक अभिव्यक्ति हैं. उत्तम , साधू!

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  27. निर्मला जी आपने इतना सुंदर ग़ज़ल लिखा है कि तारीफ के लिए अल्फाज़ कम पर गए! सच्चाई बयान करते हुए इस शानदार ग़ज़ल के लिए बधाइयाँ!

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  28. काफी लंबे समय बाद इतनी सार्थक कविता पढ़ी। बहुत अच्छा लगा। बधाई।

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  29. कौन किसी का दुख बँटाता
    झूठी रिश्तेदारी तौबा

    चोरों मे से चोर चुनें अब
    वोटर की लाचारी तौबा

    अफसर करते सैर सपाटे
    कारें हैं सरकारी तौबा


    निर्मला जी
    सच्चाई लिए हुवे लाजवाब ग़ज़ल !!!

    अब कुछ बाकी रहा आपकी कलम के लिए ??
    हर विधा में शानदार !!

    नमन है आपको व आपकी कलम को मेरा

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  30. मुह पर मीठा बोलें सब
    दिल मे देख कटारी तौबा
    क्या खूब कही है आपने पर सच्चाई तो यही है.
    बहुत सुन्दर

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  31. मुह पर मीठा बोलें सब
    दिल मे देख कटारी तौबा

    अन्धी पीसे कुत्ता चाटे
    माल जु है सरकारी तौबा


    kya likha hai aapne maa ji...

    ..tab jabki aapki ghazal seekhne ki shuruaat hai.

    abhi se ye haal?

    kshamaa prarthi hoon ki itne dino se aapke log pe na aa paya...

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  32. जिस तरह से आप ने समाज की सच्चाई को गजल के माध्यम से वेवाकी से व्यक्त किया है अद्भुद है गजल बहुत ही सुन्दर बन पड़ी है और भाव भी उतने ही ऊँचे मै तो नतमस्तक हूँ आप की इस गजल पर कई कई शेर तो दिल में टीस पैदा करते है
    मेरा प्रणाम स्वीकार करे
    सादर
    प्रवीण पथिक
    9971969084

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  33. BAHOOT HI SAARTHAK ....... SACH KAHA HAI IS POORI GAZAL MEIN AAPNE ..... HAR SHER SACHAAI BAYAAN KARTA .... LAJAWAAB

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आपकी प्रतिक्रिया ही मेरी प्रेरणा है।