10 February, 2009


मेरे गीत मेरे सपने मेरे अपने हैं
ना इन की वज़्म पर ऐतराज करो
जिन्दगी को तो मर मर के जिया है
अब कल्पनाओं को तो ना बरबाद करो
अगर दिल में होंगे भी कोई अरमान तो
कब्र तक साथ रहेंगे यकीं मेरे यार करो
मेरे जज़्बातों पर लगे है पहरे दुनिआ के
जो हो नहीं मुमकिन् ना ऐतबार करो
अब तो कल्पनाओं के सिवा जिन्दगी कुछ भी नहीं
ना हो यकीं तो मेरे मरने तक इन्तजार करो
ना बनाओ इन के अफसाने यारो
गर हो सके तो मुझ से इकरार करो

11 comments:

  1. जिन्दगी को तो मर मर के जिया है
    अब कल्पनाओं को तो ना बरबाद करो

    sunder bhav purn shabd rachna.

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  2. अगर दिल में होंगे भी कोई अरमान तो
    कब्र तक साथ रहेंगे यकीं मेरे यार करो
    " वाह जो खत्म हो जायें वो अरमान ही नही....सुंदर"

    Regards

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  3. बहुत भावपूर्ण रचना है आपकी...बधाई...
    नीरज

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  4. माँ प्रणाम , कैसी है .
    मेरे गीत मेरे सपने मेरे अपने हैं
    मेरे गीत बहुत खुबशुरत कविता .
    अब तो कल्पनाओं के सिवा जिन्दगी कुछ भी नहीं
    ना हो यकीं तो मेरे मरने तक इन्तजार करो
    बहुत गहरे भावः , अन्तर मन को छू गई .

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  5. बहुत सुंदर. हमें इकरार है. आभार.

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  6. बहुत उम्दा रचना है।बधाई।

    मेरे गीत मेरे सपने मेरे अपने हैं
    ना इन की वज़्म पर ऐतराज करो
    जिन्दगी को तो मर मर के जिया है
    अब कल्पनाओं को तो ना बरबाद करो

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  7. क्या बात है !

    बहुत खूब !

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  8. मेरे गीत मेरे सपने मेरे अपने हैं
    ना इन की वज़्म पर ऐतराज करो
    जिन्दगी को तो मर मर के जिया है
    अब कल्पनाओं को तो ना बरबाद करो....

    बहुत खूब....बेहतरीन विचारों का बढ़िया प्रस्तुतीकरण...
    वाह वाह....

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  9. ना बनाओ इन के अफसाने यारो
    गर हो सके तो मुझ से इकरार करो
    बहुत सुंदर.
    धन्यवाद

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  10. "ab to kalpnaao ke sivaa zindgi
    kuchh bhi nahi....."
    bahut khoob !
    kalpnaaein hain to khaab hain,
    khaab hain hain to jeene ka maqsad hai.......
    aapki kavyaatmak udaan achhi hai...
    badhaaee. . . .
    ---MUFLIS---

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