07 January, 2009


अखिर क्यों
विस्फोटों की भरमार क्यों है
दुविधा में सरकार क्यों है
आतंकी धडल्ले से आते हैं
सोये पहरेदार क्यो है
सबूतों को झुठलाये पाक
दुश्मन झूठा मक्कार क्यों है
दुश्मन तेरी मानेगा क्या
ऐसा तेरा इतबार क्यों है
जो अपना दोशी ना पकड सका
उस अमरीका से गुहार क्यों है
शेर की माँद के आगे
गीदड की हुंकार क्यों है
अपने दम पर भरोसा कर
फैसले का इन्तजार क्यों है
शराफत से ना मने दुश्मन
चुप तेरी तलवार क्यों है
जो करना है जल्दी करो
आपस में तकरार क्यों है
भारतवासियो जागो अब
बेहोश बरखुरदार क्यों है

9 comments:

  1. बहुत सुंदर. तत्कालिक कार्यवाही की ज़रूरत थी. अभी भी सब ढुलमुल ही तो है. आभार.
    http://mallar.wordpress.com

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  2. बहुत सुंदर रचना है.......

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  3. आप ने बहुत बढ़िया कविता प्रस्तुत की है ---एकदम सटीक टिप्पणी आज के हालातों पर और सब कुछ इतनी सहजता से कह डाला। अच्छा लगा।

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  4. एक आम आदमी की भावनाओ और आज के हालात को बखूबी ब्यान किया है |
    अब देखो न दूसरा करगिल भी दोहराया जा रहा है |और हमारी सरकार अब भी चुप है |
    हमारे ही घर मे घुस कर कोई हमारे ही ऊपर प्रहार करता है और हम दूसरो का मुँह देखते है |
    बहुत स्टीक रचना.....सीमा सचदेव

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  5. अच्छी रचना है. कुछ इंसान अपनी नाकामयाबियों को छुपाने के लिए नफरत का सहारा लेते हैं. जब तक ऐसे मानसिक बीमार रहेंगे, यह विस्फोट होते रहेंगे.

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  6. madam, aapne bahut thick likha hai,
    aap mere iss blog ko follower bane:

    http://meridrishtise.blogspot.com

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  7. मैं बताऊँ.......??
    गर खे रहा है नाव तू
    गैर के हाथ पतवार क्यूँ है...?
    तू अपनी मर्ज़ी का मालिक है गर
    तिरे चारों तरफ़ यः बाज़ार क्यूँ है...??
    हर कोई सभ्य है और बुद्धिमान भी
    हर कोई प्यार का तलबगार क्यूँ है....??
    इतनी ही शेखी है आदमियत की तो
    इस कदर ज़मीर का व्यापार क्यूँ है....??
    बाप रे कि खून इस कदर बिखरा हुआ...
    ये आदमी इतना भी खूंखार क्यूँ है...??
    हम जानवरों से बात नहीं करते "गाफिल"
    आदमी इतना तंगदिल,और बदहाल क्यूँ है ??

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  8. बहुत सुंदर, आज हमारे देश मै भी यही तो हो रहा है, फ़ोज तो शॆरो की है, लेकिन राज गिदडो का है.
    धन्यवाद

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