30 December, 2008



रोज सोचा करते थे
वो सब के दोस्त?
मगर केसे?
अपनी ही किस्मत
क्यों धोखा खा गयी
जब गिरगिट को
देखा रंग बदलते
उनकी तरकीब
समझ आ गयी

12 comments:

  1. जब गिरगिट को
    देखा रंग बदलते
    उनकी तरकीब
    समझ आ गयी
    हाहाहा बहुत ही सुंदर लिखा है बहुत ही अच्छा कम शब्द मैं बहुत ही सच्ची बात

    अक्षय-मन

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  2. बहुत सुंदर,
    कम शब्दों में भावों का जबरदस्त प्रस्तुतीकरण.
    बधाई

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  3. नमस्कार निर्मला जी ,
    आपकी छोटी सी कविता बहुत बडी बात कह गई |

    मैने शायद पहले आपको देखा है ,आपकी तस्वीर देखकर ऐसा लगा था |
    लेकिन जब आपका परिचय पढा तो ९०% यकीन हुआ ,देखा ही है | मै भी
    आप ही के शहर से हूँ यानि नंगल | मेरे फादर इन लॉ भी बी.बी.एम.बी.
    मे हैं |आप से मिलकर अच्छा लगा |
    सादर
    सीमा सचदेव

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  4. नववर्ष की हार्दिक मंगलकामनाएँ!

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  5. "नव वर्ष २००९ - आप सभी ब्लॉग परिवार और समस्त देश वासियों के परिवारजनों, मित्रों, स्नेहीजनों व शुभ चिंतकों के लिये सुख, समृद्धि, शांति व धन-वैभव दायक हो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं "

    regards

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  6. नया साल...नया जोश...नई सोच...नई उमंग...नए सपने...आइये इसी सदभावना से नए साल का स्वागत करें !! नव वर्ष-२००९ की ढेरों मुबारकवाद !!!...नव-वर्ष पर मेरे ब्लॉग "शब्द-शिखर" पर आपका स्वागत है !!!!

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  7. बहुत अच्छी कविता...नया साल आपको मुबारक हो....

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  8. First of All Wish U Very Happy New Year....

    Jab girgit ko dekha rang badalte ....

    Achchi rachana...
    Badhi..

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  9. नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

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